डीएम की फर्जी सील और सिग्नेचर से जमीन खरीदने की कोशिश, एक चूक और हो गया इतने बड़े ‘कांड’ का खुलासा

खरगोन:

जिले के मंडलेश्वर में दो आरोपियों द्वारा आदिवासी किसान की जमीन खरीदने के लिए डीएम की फर्जी अनुमति बनाने का मामला सामने आया है। डिप्टी रजिस्ट्रार की शिकायत पर उपसरपंच समेत दो लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। आरोपियों ने डीएम की फर्जी सील व स्कैन किए हस्ताक्षर से किसान की जमीन को बेचने की अनुमति बनाई और एक आरोपी डेप्युटी रजिस्टार कार्यालय महेश्वर रजिस्ट्री में आने वाले खर्च की जानकारी के लिए पहुंच गया। डिप्टी रजिस्ट्रार को शक होने पर कलेक्टर कार्यालय से पुष्टि चाही तो मामला जालसाजी का निकला। डिप्टी रजिस्ट्रार की शिकायत पर ग्राम काकड़दा के उपसरपंच व एक अन्य आरोपी के विरूद्ध महेश्वर थाने पर प्रकरण दर्ज किया गया है।

डीएम की फर्जी सील से होने वाली खरीददारी
महेश्वर की डिप्टी रजिस्ट्रार गरिमा चौहान ने आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करवाया है। एफआईआर में उन्होंने बताया कि 21 जून को लोकेश सोलंकी निवासी काकड़दा उपपंजीयक कार्यालय महेश्वर आया। उसने खुद को काकड़दा का उपसरपंच बताते हुए भूमि स्वामी द्वारका डावर की जमीन को बेचने का कलेक्टर द्वारा जारी विक्रय अनुमति आदेश दिखाते हुए रजिस्ट्री के संबंध में पूछताछ करने लगा। उसने कहा कि मुझे रुपेश वैष्णव निवासी ठनगांव ने भेजा है। डिप्टी रजिस्ट्रार ने बताया कि विक्रय अनुमति पर डीएम की हुबहू सील व कलेक्टर के हस्ताक्षर थे। आदेश पत्र संदेहास्पद लगने पर इसके सत्यापन के लिए डीएम कोर्ट खरगोन संपर्क किया गया। जहां से पता चला कि ऐसा कोई आदेश या अनुमति यहां से जारी ही नहीं हुई है।

एक चूक से हो गया खुलासा
फर्जी सील व हस्ताक्षर से बनाए कूटरचित दस्तावेज के माध्यम से वे आदिवासी किसान की जमीन खरीदने का प्रयास कर रहे थे। आरोपी लोकेश सोलंकी निवासी काकड़दा व रुपेश वैष्णव निवासी ठनगांव के खिलाफ विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया है। खरगोन के डीएम के वी शर्मा ने बताया कि काकड़दा ग्राम पंचायत का उपसरपंच व एक अन्य आरोपी फर्जी सील व हस्ताक्षर से बनाई कूटरचित अनुमति के आधार पर आदिवासी की जमीन विक्रय का प्रयास कर रहे थे। महेश्वर उपपंजीयक का संदेह सही निकला। हमने अब तक आदिवासी की जमीन विक्रय करने की एक भी अनुमति जारी नहीं की है। आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करवाया गया है। विवेचना करने वाले पुलिस अधिकारी संजीव साठे ने बताया कि असदिवासी द्वारका करीब 70 वर्ष का है और उसकी शारीरिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह कहीं आना-जाना कर सके।

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