नई दिल्ली,
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कथित आबकारी नीति घोटाले के सिलसिले में सीबीआई द्वारा दर्ज केस में जमानत के लिए बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक को सीबीआई ने 26 जून को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था, जहां वह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग केस में अभी भी न्यायिक हिरासत में बंद हैं. उन्होंने सीबीआई मामले में अपनी गिरफ्तारी को हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
आजतक ने एक्सक्लूसिव तौर पर केजरीवाल द्वारा दायर जमानत याचिका एक्सेस की. इसमें केजरीवाल ने सीबीआई के खिलाफ कई बड़े दावे किए हैं. याचिका में कहा गया है कि अप्रैल 2023 में जब केजरीवाल को बुलाया गया था, तब उन्होंने सीबीआई को पूरा सहयोग और सहायता प्रदान की थी. केजरीवाल की गिरफ्तारी पूरी तरह से अवैध और असंवैधानिक है. रिमांड आदेश स्पष्ट रूप से नियमित है, जिससे गिरफ्तारी और कार्यवाही की पूरी प्रक्रिया प्रभावित हो रही है. सीबीआई चल रही जांच की आड़ में उन्हें लगातार परेशान और परेशान कर रही है.
यह स्पष्ट रूप से उत्पीड़न है: केजरीवाल
याचिका में केजरीवाल ने इसे गंभीर निराशा और चिंता का विषय बताया. उन्होंने कहा कि जांच पहले ही पूरी हो चुकी है और उनकी गिरफ्तारी का आधार बनने वाली सामग्री पहले ही एकत्र की जा चुकी है. सीबीआई जैसी प्रमुख जांच एजेंसी कानून की प्रक्रिया से खिलवाड़ नहीं कर सकती और सीबीआई को पक्षपात या एकतरफा दृष्टिकोण की किसी भी धारणा को दूर करते हुए निष्पक्षता और निष्पक्षता के साथ काम करना होगा. यह स्पष्ट रूप से उत्पीड़न है. सीबीआई का आचरण स्पष्ट रूप से दुर्भावना से भरा है. केजरीवाल की स्वतंत्रता को मनमानी और लापरवाही से छीना गया.
‘यह मुझे रिहा होने से रोकने का प्रयास’
उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि आवेदक का स्पष्ट रूप से उत्पीड़न किया जाना स्पष्ट है, जिस सबूत के आधार पर उन्हें अब गिरफ्तार किया गया है, वह पहले से ही रिकॉर्ड में है और मामला दर्ज होने के 1 वर्ष और 10 महीने बाद और ऐसे सबूत एकत्र करने के कई महीनों बाद गिरफ्तारी का सवाल न केवल कानून की दृष्टि से अस्वीकार्य है, बल्कि स्पष्ट रूप से दुर्भावना से भरा है. गिरफ्तारी का समय उन्हें हिरासत से रिहा होने से रोकने, टालने और रोकने का प्रयास दर्शाता है, क्योंकि पीएमएलए मामले में उन्हें नियमित जमानत दी गई है.
‘सीबीआई का उद्देश्य केजरीवाल की स्वतंत्रता छीनना है’
केजरीवाल ने कहा कि धारा 41(1) (बी)(इन) के सभी सिद्धांत सीआरपीसी के साथ-साथ गिरफ्तारी की आवश्यकता का उल्लंघन किया गया है और केवल दंडात्मक कारावास दिया गया है, जिसका उद्देश्य उनकी स्वतंत्रता को छीनना है और उन्हें मनमानी तरीके से कैद किया गया है. सीबीआई द्वारा जिस रिकॉर्ड पर भरोसा किया जा रहा है, उस पर एक नज़र डालने से पता चलता है कि कथित सबूत जो उनके अभियोजन का आधार बनता है, वह बहुत पहले ही सामने आ चुका था, जिसके आधार पर कई आरोपियों को नामित किया गया है.
सीबीआई ने प्रताड़ित और परेशान किया: केजरीवाल का दावा
दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष अपनी जमानत याचिका में अरविंद केजरीवाल ने दावा किया है कि सीबीआई ने उन्हें प्रताड़ित और परेशान किया है और एजेंसी का आचरण स्पष्ट रूप से दुर्भावनापूर्ण है. दिल्ली सीएम ने कहा है कि सीबीआई लगातार चल रही जांच की आड़ में उन्हें परेशान कर रही है. इसे उन्होंने गंभीर निराशा और चिंता का विषय बताया है. उन्होंने कहा कि सीबीआई जैसी प्रमुख जांच एजेंसी कानून की प्रक्रिया से खिलवाड़ नहीं कर सकती और सीबीआई को पक्षपात या एकतरफा दृष्टिकोण की किसी भी धारणा को दूर करते हुए निष्पक्षता और निष्पक्षता के साथ काम करना चाहिए.
केजरीवाल के अनुसार, जब अप्रैल 2023 में उन्हें बुलाया गया था, तब उन्होंने सीबीआई को पूरा सहयोग और सहायता प्रदान की थी. अपनी गिरफ्तारी को पूरी तरह से अवैध, असंवैधानिक और अस्थिर बताते हुए याचिका में कहा गया है कि रिमांड आदेश नियमित रूप से जारी किए जाते हैं, जिससे गिरफ्तारी और कार्यवाही की पूरी प्रक्रिया प्रभावित होती है. अरविंद केजरीवाल ने अपनी याचिका में कहा है कि जांच वास्तव में पहले ही पूरी हो चुकी है और उनकी गिरफ्तारी का आधार बनने वाली सामग्री पहले ही एकत्र की जा चुकी है