नई दिल्ली,
जून के महीने में हायरिंग गतिविधियों में सुस्ती आने का दावा नौकरी जॉबस्पीक इंडेक्स ने किया है. हालांकि इस रिपोर्ट में किसी खास वजह की तरफ इशारा तो नहीं किया गया है. लेकिन ये माना जा रहा है कि चुनाव, नई सरकार के गठन पर छाए सस्पेंस के हटने के बाद बजट के ऐलानों को लेकर कंपनियों ने हायरिंग को कम किया है.
ऐसे में संभव है कि जुलाई में भी हायरिंग गतिविधियों पर दबाव बना रह सकता है. अगर बात करें पिछले महीने हुई हायरिंग की तो रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर क्षेत्रों में भर्ती स्थिर रहने की वजह से जून में व्हाइट कॉलर जब्स की हायरिंग एक्टिविटीज में 7.62 फीसदी की गिरावट देखी गई. जून में 2582 जॉब पोस्टिंग की गईं जबकि जून 2023 में ये आंकड़ा 2,795 था.
बीमा क्षेत्र में सबसे ज्यादा नौकरियां!
आइए अब जानते हैं कि आखिर जून में किन सेक्टर्स में हायरिंग एक्टिविटीज में बढ़ोतरी हुई है. नौकरी जॉबस्पीक इंडेक्स के मुताबिक सबसे ज्यादा हायरिंग ग्रोथ 28 फीसदी के साथ इंश्योरेंस सेक्टर में देखने को मिली है. वहीं इसके बाद टेलीकॉम, FMCG और फूड सेक्टर में 12 परसेंट ज्यादा हायरिंग हुई है. BPO, ITeS और एजुकेशन सेक्टर में हायरिंग 9-9 फीसदी बढ़ी है. ग्लोबल कैपिसिटी सेंटर्स में हायरिंग 7 फीसदी और फार्मा में हायरिंग गतिविधियां 6 परसेंट बढ़ी हैं. जानकारों का मानना है कि फार्मा में हायरिंग बढ़ने की वजह लोगों का सेहत के प्रति जागरुक होना है जिससे हेल्थ सेक्टर में हायरिंग बढ़ रही है.
मिनी मेट्रोज बने नए जॉब हब!
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अब मिनी मेट्रो शहर हायरिंग के मामले में मेट्रो शहरों से आगे निकलते जा रहे हैं. इसके असर से राजस्थान और गुजरात के बड़े शहरों में नौकरियों के ज्यादा मौके पैदा हो रहे हैं. ऐसे में जोधपुर में जून के दौरान हायरिंग 36 फीसदी बढ़ी है. इसके बाद राजकोट में 35 परसेंट, कोटा में 21 फीसदी, उदयपुर, जामनगर और सूरत में नई नौकरियों के मौके 13 प्रतिशत बढ़े हैं. लेकिन जैसे ही देश के महानगरों में नौकरियों के मौके पैदा होने के आंकड़ों पर नजर डाली जाती है तो एकदम उलट नजारा देखने को मिलता है.
रिपोर्ट के मुताबिक बीते महीने बेंगलुरु में हायरिंग 9 प्रतिशत और मुंबई में 6 फीसदी कम रही है. नौकरियों के मौकों का देश के दूसरे शहरों में बढ़ना इस लिहाज से भी फायदेमंद है कि अब मेट्रोज पर आबादी का दबाव बढ़ना कम होगा. इसके साथ ही दूसरे शहरों में भी घरों, गाड़ियों से लेकर तमाम तरह के कंज्यूमर ड्यूरेबल्स की डिमांड बढ़ेगी.