नई दिल्ली:
सेंसेक्स ने पिछले सात महीनों में 70,000 से 80,000 का आंकड़ा पार कर लिया है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह रफ्तार बनी रही तो दिसंबर 2025 तक यह संवेदी सूचकांक 1 लाख के पार पहुंच सकता है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह तेजी ज्यादातर समय तक नहीं रहेगी। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के सूचकांक सेंसेक्स में यह तेजी कई कारणों से है। इनमे भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था, अमेरिकी फेड की ओर से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और सरकार की विकासोन्मुखी नीतियां शामिल हैं। पिछले 20 सत्रों में सेंसेक्स में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। सेंसेक्स को 70,000 से 80,000 तक पहुंचने में सिर्फ 139 दिन का वक्त लगा है। यह भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
अपनी शुरुआत होने से 800 गुना बढ़ा इंडेक्स
अप्रैल 1979 में सेंसेक्स का आधार मान 100 था। पिछले 45 सालों में यह 800 गुना बढ़कर 80,000 के पार पहुंच गया है। इसका मतलब है कि हर साल सेंसेक्स में औसतन 15.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अगर यही रफ्तार बनी रही तो अगले साल दिसंबर तक सेंसेक्स 1 लाख के पार पहुंच सकता है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह तेजी ज्यादा समय तक नहीं रहेगी। उनका कहना है कि बाजार में तेजी और गिरावट का एक साइकिल चलता रहता है। इस समय बाजार में तेजी का माहौल है, लेकिन जल्द ही इसमें गिरावट आ सकती है।
डेढ़ से दो साल में 1 लाख का लेवल
आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स के सीनियर मैनेजर (तकनीकी अनुसंधान विश्लेषक) जिगर एस पटेल का कहना है, ‘ऐतिहासिक रूप से सेंसेक्स 14-16 फीसदी CAGR से बढ़ा है। इस लिहाज से यह 1.5 से 2 साल के समय में 1,00,000 के पार पहुंच सकता है। लेकिन, हमें यह ध्यान रखना होगा कि 2024 लीप वर्ष है। ऐतिहासिक रूप से लीप वर्ष में बाजार में गिरावट देखने को मिलती है।’पटेल ने आगे कहा, ‘इस साल चुनाव परिणामों के कारण भारतीय बाजार में पहले ही भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। आने वाले बजट से पहले उतार-चढ़ाव और भी बढ़ सकता है।’
तकनीकी रूप से 21-दिवसीय एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज (DEMA) 77,837 के आसपास है। 50-दिवसीय एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज (DEMA) लगभग 76,150 है। ये दोनों ही सेंसेक्स के मौजूदा बाजार मूल्य से काफी कम हैं। इससे पता चलता है कि बाजार 76,000 के आसपास आ सकता है।इसके अलावा, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) का इंडेक्स फ्यूचर्स के लिए लॉन्ग-शॉर्ट अनुपात 80-83 फीसदी के बीच है। यह दर्शाता है कि बाजार में तेजी का रुझान है। लेकिन जब भी बाजार में तेजी का रुझान बहुत ज्यादा होता है, तो उसके बाद बाजार में गिरावट आती है।