लखनऊ
एक समाचार पत्र के संपादक वीरेंद्र मिश्रा को कथित रूप से फोन पर धमकी देने के मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट की विशेष अपर मुख्य न्यायिक मैजिस्ट्रेट आलोक वर्मा ने पूर्व एमएलसी मोहसिन रज़ा को बरी कर दिया है। वीरेंद्र मिश्रा ने धमकी दिए जाने की रिपोर्ट 17 मई 1996 को बाजारखाला थाने में दर्ज करवाई थी। तहरीर में कहा था कि चौक थाने की पुलिस एवं कुख्यात कॉल गर्ल्स सरगना बिबिया गिरोह के सदस्यों का उन्होंने खुलासा अपने समाचार पत्र में किया था। इसके लिए उन्हें धमकाया गया। अदालत में दिए गए बयान में उन्होंने कहा था कि जान से मार डालने की धमकी देने वाले और समाचार के लिए परेशान व्यक्ति बिबिया गिरोह का ही सदस्य है। ऐसे में कोर्ट ने मोहसिन रजा को बरी करते हुए कहा कि एफआईआर में उनका नाम नहीं है।
पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य और पुलिस विवेचना में भी स्पष्ट नहीं है कि मोहसिन रज़ा का नाम किसके बयान में और कैसे आ गया। अदालत ने कहा है कि गवाह राजेश उर्फ मंतर सोनकर ने पुलिस को दिए गए बयानों से इनकार करते हुए मोहसिन रज़ा को अदालत में जानने और पहचाने से भी इनकार कर दिया है।