मेरठ
हाथरस हादसे को लेकर दलित सियासत उभरती दिख रही है। इस मुद्दे पर सियासी दल से सीधे तौर पर बाबा सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि ‘भोले बाबा’ के खिलाफ मुखर होकर बोलने से किनारा कर रहे हैं। सियासी जानकार इसकी वजह बाबा सूरजपाल के जाटव (दलित) पर बड़े असर होने का कारण मान रहे हैं। हालांकि, जैसे-जैसे दिन गुजर रहे हैं, वैसे-वैसे अब सियासी दलों की जुबान में भी बदलाव देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषक हरि शंकर जोशी ने सियासी दलों में बाबा के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर पर शनिवार को कहा कि इसकी वजह बाबा का यूपी की आबादी पर अच्छा प्रभाव है। मौजूदा वक्त में दलित समाज को हर कोई दल अपने से जोड़ने को बेताब है। बाबा का नाम सूरजपाल जाटव है। यूपी में जाटव वोटरों की संख्या करीब-करीब 11 फीसदी है। परंपरागत तौर पर ये वोट बैंक मायावती और बीएसपी का माना जाता है, लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में इस में बिखराव हुआ है।
पुलिस मेहरबान, सभी दलों ने दी क्लीन चिट
आम लोगों की नजर में हाथरस हादसे के लिए जिम्मेदार बाबा सूरजपाल जाटव को लेकर जहां पुलिस मेहरबान दिख रही है, वहीं सियासी दलों का रुख भी कम हैरान करने वाला नहीं है। हादसे के बाद से ज्यादातर सियासी दल 123 लोगों की मौत के जिम्मेदार बाबा को एक तरह से क्लीन चिट दे चुके हैं। सारी जिम्मेदारी सत्संग के आयोजकों-सेवादारों पर डाल रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, एसपी मुखिया अखिलेश यादव, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, बीएसपी सुप्रीमो मायावती, यूपी के मंत्री ने शुक्रवार तक दिए बयान देखने से लगता है सभी बाबा पर सॉफ्ट कार्नर अपना रहे हैं।
यूपी के 16 जिलों में बाबा का असर
सियासी जानकारों की मानें तो यूपी के 16 जिलों में बाबा का असर है। खासकर दलित समाज पर। प्रोफेसर डॉक्टर रविंद्र राणा की मानें तो इसके पीछे दलित समाज श्रद्धालुओं की भीड़ में नेताओं को अपना वोट बैंक दिख रहा है। पांच जुलाई को ही कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी हाथरस पहुंचे। घायलों से मिले, मदद का भरोसा दिया और कहा कि हादसे के लिए प्रशासन जिम्मेदार है। इसी तरह दो जुलाई को हादसे वाले दिन एसपी मुखिया अखिलेश यादव ने बयान दिया कि ये हादसा सरकार की लापरवाही का नतीजा है। प्रशासन चाहता तो हादसा बच सकता था।
मंत्री ने कहा, हादसे में बाबा का कोई दोष नहीं
हादसे के अगले दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हाथरस गए। घटना की जांच का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। न्यायिक जांच कराने को कहा। आयोग गठित किया। घटना के बाद बीएसपी नेता मायावती ने हादसे की जांच और मुआवजे की मांग की। यूपी की मंत्री बेबी रानी मौर्य ने भी साफ कहा कि बाबा के चरणों की रज उनके कहने पर नहीं ली जाती। भक्त खुद बेहतर होने की आस में रज लेते हैं। बाबा का इसमें कोई दोष नहीं हैं। बोली हादसे के वक्त बाबा मौके से चले गए थे। बीएसपी के प्रदेशाध्यक्ष भी हाथरस गए थे उन्होंने भी बयान में सिर्फ घटना पर दुख जताया और जांच के साथ मदद की मांग की। दिलचस्प बात यह है कि भाजपा, सपा, बसपा कांग्रेस यूपी में प्रमुख सियासी दल हैं। यूपी की सियासत इन्हीं दलों इर्द-गिर्द चलती है, लेकिन इनके किसी के भी बयान में बाबा की गिरफ्तारी होने या ऐक्शन लेने की बात शामिल नहीं रही।
अखिलेश ने इशारे से बाबा पर ऐक्शन की मांग की
बाबा के अनुयायियों ने जैसे ही उनके खिलाफ बोलना शुरू किया, सियासी दलों के रुख में बदलाव देखने को मिला है। एसपी मुखिया ने शनिवार को कहा कि शासन और प्रशासन हाथरस हादसे में अपनी नाकामी छिपाने के लिए छोटी-मोटी गिरफ्तारियां दिखा कर सैकड़ों लोगों की मौत से पल्ला झाड़ना चाहता है। अगर ऐसा हुआ तो मतलब निकलेगा कि इस तरह के आयोजन में प्रशासनिक विफलता से किसी ने कोई सबक नहीं लिया। माना जा रहा है अखिलेश का इशारा बाबा पर एक्शन करने की मांग करना हैं।
मायावती ने एक्स पर किया पोस्ट, कार्रवाई की मांग की
इसी क्रम में मायावती ने शनिवार को X पर लिखा, ‘देश में गरीबों, दलितों और पीड़ितों को अपनी गरीबी दूर करने के लिए बाबाओं के अंधविश्वास और पाखंडवाद में नहीं आना चाहिए। इन लोगों को अपना दुख दूर करने के लिए बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के बताए हुए रास्ते पर चलकर सत्ता अपने हाथों में लेकर खुद अपनी तकदीर बदलनी होगी। इसके लिए इन्हें अपनी पार्टी बीएसपी से ही जुड़ना होगा। हाथरस कांड में जो भी दोषी हैं, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसे अन्य और बाबाओं के विरुद्ध भी कार्रवाई होनी जरूरी है। इस मामले में सरकार को अपने राजनीतिक स्वार्थ में ढीला नहीं पड़ना चाहिए।