नेता प्रतिपक्ष के बाद स्टैंडिंग कमिटी की पोस्ट पर कांग्रेस की नजर, मोदी 3.0 में I.N.D.I.A का जोश हाई

नई दिल्ली

लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सीटों में भारी गिरावट का असर मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में दिखाई दे सकता है। दरअसल विपक्षी दल पहले से ज्यादा ताकतवर हैं और कांग्रेस की सीटों में उम्मीद से ज्यादा इजाफा हुआ है। ऐसे में विपक्षी दलों का इंडिया एलायंस संसद के अंदर खुद को मजबूत स्थिति में देख रहा है। 99 सीटों के साथ कांग्रेस का भी जोश हाई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद कांग्रेस और इंडिया एलायंस की नजरें अब स्थायी समितियों की अध्यक्षता पर है। लोकसभा चुनाव में 236 सीटें जीतने के बाद, विपक्षी दलों के इंडिया गुट को उम्मीद है कि उन्हें पिछले सदन में विपक्ष को मिलीं विभागों से जुड़ी स्थायी समितियों की तुलना में ज्यादा समितियों की अध्यक्षता मिलेगी। इन समितियों की घोषणा आगामी मॉनसून सत्र के दौरान होने की उम्मीद है।

हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, लोकसभा और राज्यसभा सचिवालयों ने पार्टियों को चिट्ठी लिखी है। इन चिट्ठियों में पार्टियों से उनके सांसदों को 24 अलग-अलग समितियों (पैनल) के लिए नामित करने के लिए कहा गया है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, ‘लोकसभा सचिवालय ने मुझे चिट्ठी लिखकर विभिन्न समितियों के लिए सांसदों के नाम मांगे हैं।’ कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के दफ्तर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी पुष्टि की है कि उन्हें राज्यसभा सचिवालय से भी इसी तरह का अनुरोध मिला है। लोकसभा के लिए 16 और राज्यसभा के लिए 8 विभागों से जुड़ी स्थायी समितियां हैं। दरअसल इन समितियों के अध्यक्षों पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। इन अध्यक्षों को चुनने का फैसला राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला करेंगे।

क्या राहुल बनेंगे पब्लिक अकाउंट्स कमेटी के अध्यक्ष?
कांग्रेस के एक वरिष्ठ रणनीतिकार ने बताया कि इंडिया गुट को स्थायी समितियों में कम से कम तीन अतिरिक्त अध्यक्ष पद मिलने की उम्मीद है।उन्होंने बताया, ‘कांग्रेस को एक और समिति मिलनी चाहिए। समाजवादी पार्टी को भी एक समिति मिलनी चाहिए, क्योंकि अभी उनकी अगुवाई में कोई समिति नहीं है। वहीं तृणमूल कांग्रेस को भी एक अध्यक्ष पद मिलना चाहिए।’ इसके अलावा, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के संसद की लेखा परीक्षा समिति (पब्लिक अकाउंट्स कमेटी) का अध्यक्ष बनने की संभावना है और कुछ अन्य विपक्षी नेताओं को भी कुछ समितियों की जिम्मेदारी मिल सकती है।

कांग्रेस ने तीन स्थायी समितियों की अगुवाई की थी
मई 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले, कांग्रेस पार्टी ने तीन स्थायी समितियों की अगुवाई की थी। इसमें वाणिज्य, पर्यावरण और रसायन एवं उर्वरक शामिल है। तृणमूल, संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद, उसे कोई अध्यक्ष पद नहीं मिला। समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने शुरुआत में स्वास्थ्य समिति की अध्यक्षता की थी, लेकिन कुछ समय बाद यह भाजपा को वापस मिल गई। द्रमुक की कनिमोई ने ग्रामीण विकास पैनल का नेतृत्व किया। इस बार समाजवादी पार्टी (दोनों सदनों में 41 सांसद) और टीएमसी (दोनों सदनों में 42 सांसद) को कम से कम एक-एक अध्यक्ष पद मिलने का हक बनता है। विपक्ष (कांग्रेस के अलावा) के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘लेकिन अंतिम फैसला धनखड़ या बिरला लेंगे।’

विपक्ष का तर्क जानिए
विपक्ष के एक पदाधिकारी ने तर्क दिया कि ‘55% सांसद सत्ता पक्ष के साथ हैं जबकि 45% विपक्ष में हैं। यदि अध्यक्ष पदों का वितरण इसी अनुपात में किया जाता है, तो सत्तारूढ़ पक्ष को विभाग-संबंधी स्थायी समितियों के 13 अध्यक्ष मिलने चाहिए, जो विभिन्न मंत्रालयों के कामकाज की देखरेख करती हैं, और अन्य को 11 मिलने चाहिए।’ विभागों से जुड़ी 24 स्थायी समितियों के अलावा, संसद में और भी कई समितियां होती हैं। ये समितियां देश की सबसे ऊंची कानून बनाने वाली संस्था के कामकाज के अलग-अलग पहलुओं को संभालती हैं। इनमें वित्त से जुड़ी समितियां, कुछ समय के लिए बनाई जाने वाली अस्थायी समितियां और अन्य स्थायी समितियां शामिल हैं।

क्यों बनाई जाती हैं विशेष या संयुक्त संसदीय समितियां?
सत्र चलने के दौरान, लोकसभा और राज्यसभा कभी-कभी विशेष समितियां या संयुक्त संसदीय समितियां भी बनाती हैं। ये समितियां किसी खास कानून या महत्वपूर्ण मुद्दे की समीक्षा करने के लिए बनाई जाती हैं। उदाहरण के लिए, शेयर बाजार घोटाले की जांच के लिए या शीतल पेय और पेय पदार्थों में कीटनाशक होने की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समितियां बनाई जा सकती हैं। दो नेताओं के अनुसार, सचिवालयों ने पार्टियों से मानसून सत्र 22 जुलाई से शुरू होने से पहले अपने नामांकन जमा करने का अनुरोध किया है।

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