राज्य सरकार की अनुमति के बिना CBI नहीं कर सकती जांच… सुप्रीम कोर्ट से ममता सरकार को मिली बड़ी राहत

नई दिल्ली

पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार के केस को सुनवाई के योग्य माना है और इसी के साथ केंद्र की दलील को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम कानून के अनुसार उसके गुण-दोष के आधार पर आगे की कार्यवाही करेंगे।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने यह फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के उस वाद को सुनवाई योग्य माना जिसमें आरोप लगाया गया है कि राज्य द्वारा सामान्य सहमति वापस लिए जाने के बावजूद सीबीआई मामलों की जांच कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हम कानूनी मुद्दे की जांच करेंगे कि क्या 2018 में आम सहमति वापस लेने के बावजूद सीबीआई पश्चिम बंगाल में केस दर्ज कर सकती है? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की इस दलील को खारिज किया कि उसे धारा 131 के मुकदमे में प्रतिवादी नहीं बनाया जा सकता, क्योंकि सीबीआई सीधे केंद्र के अधीन नहीं है।’

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने कहा, ‘हमने डीएसपीई अधिनियम के प्रावधानों को पढ़ा है (जिसके अनुसार सीबीआई प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र के अधीन है)। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया इस बात से सहमत नहीं है कि सीबीआई ही मामले दर्ज कर रही है, केंद्र नहीं, सीबीआई केंद्र के सीधे नियंत्रण में नहीं है।’ममता सरकार ने तर्क दिया था कि सीबीआई केंद्र के अधीन आती है। डीएसपीई अधिनियम की धारा 4(2) के अनुसार, यह केंद्र के डीओपीटी विभाग के अधीन है।

इसके अलावा पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा, ‘जब संसद में CBI पर सवाल पूछा जाता है तो डीओपीटी के प्रभारी केंद्र सरकार के राज्य मंत्री ही सवाल का जवाब देते हैं, सीबीआई नहीं।’ यहां तक ​​कि सीबीआई की ओर से कोर्ट में मामले और हलफनामे भी डीओपीटी द्वारा ही दायर किए जाते हैं।’

ममता सरकार ने 2018 में सीबीआई की एंट्री की थी बैन
बता दें, 8 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। नवंबर 2018 में बंगाल सरकार ने सीबीआई जांच पर राज्य की सहमति वापस ले ली थी। इसके बाद भी सीबीआई ने संदेशखाली समेत कई मामलों में जांच शुरू कर दी थी। इसी के खिलाफ बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। राज्य सरकार ने यह अर्जी संविधान के आर्टिकल 131 का हवाला देते हुए दायर की थी। इसके तहत केंद्र और राज्य के बीच विवाद होने पर सुप्रीम कोर्ट अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए आदेश जारी कर सकता है। इस मामले की अगली सुनावई अब 13 अगस्त को होगी।

 

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