नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ दिन पहले रूस के दौरे पर थे। मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। इस दौरान पीएम मोदी ने रूसी सेना में फंसे भारतीयों का मुद्दा उठाया जिस पर राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि रूस उन लोगों की भारत वापिसी में मदद करेगा। पीएम मोदी की रूस यात्रा के बाद रूसी सेना के लिए लड़ रहे एक भारतीय का वीडियो सामने आया है। जिसमें वो कह रहा है कि उसके दल के 15 गैर रूसी सैनिकों में से सिर्फ दो ही जिंदा हैं। उसे उम्मीद है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन से पीएम मोदी की मुलाकात के बाद उसकी वतन वापसी हो पाएगी।
एजेंटों ने किया भारतीय शख्स के साथ धोखा
रूसी सेना से जिस भारतीय शख्स का वीडियो सामने आया है। उसका नाम उर्गेन तमांग है और वो पश्चिम बंगाल के कलिमपोंग का रहने वाला है। उसे धोखे से रूस लाया गया और सेना भी भर्ती कर दिया गया। उर्गेन तमांग ने बताया कि वो पिछले 6 महीने से रूसी सेना के लिए लड़ रहा है। उसे एजेंटों ने धोखे में रखकर रूस भेजा। एजेंटों ने उसे रूस में सुरक्षा गार्ड की नौकरी दिलवाने का वादा किया था लेकिन जब वो रूस पहुंचा तो उसे रूस-यूक्रेन की जंग में भेज दिया गया।
उर्गेन तमांग को लेकर कलिमपोंग के प्रधान ने बताया कि वो लगातार WhatsApp के जरिए उर्गेन से संपर्क में हैं लेकिन हमें और उसके परिवार को पता भी नहीं है कि हम उर्गेन को फिर से देख पाएंगे या नहीं। कलिमपोंग नगरपालिका के अध्यक्ष रबी प्रधान से उनकी मदद की गुहार लगाई गई थी। प्रधान ने विदेश मंत्रालय से संपर्क किया और उन्हें बताया गया कि इस मामले को जरूरी मदद के लिए मॉस्को में भारतीय दूतावास के साथ उठाया गया है।
उर्गेन ने अपने वीडियो मैसेज में क्या कहा ?
गुरुवार को भेजे गए वीडियो मैसेज में उर्गेन ने कहा कि मैं भारत के पश्चिम बंगाल से उर्गेन तमांग हूं। मार्च से मैं रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसा हुआ हूं। यहां 15 गैर-रूसी थे, लेकिन 13 मारे गए हैं। केवल हम दोनों, मैं और श्रीलंका का एक व्यक्ति, जीवित हैं। मैं कलिम्पोंग नगर पालिका के अध्यक्ष के संपर्क में हूं। उन्होंने मुझे बताया कि मोदी रूस में थे और उन्होंने रूसी राष्ट्रपति से बात की थी। मुझे खुशी है कि मैं जीवित हूं और मैं अपने देश वापस जाना चाहता हूं। मैं अधिकारियों से अपील करता हूं कि कृपया मुझे और अन्य भारतीयों को रिहा करें। जय हिंद, जय भारत।
अभी कहां हैं उर्गेन तमांग?
उर्गेन तमांग ने रबी प्रधान के साथ बातचीत के दौरान बताया कि अभी हमें अगले 10-12 दिनों के लिए रेस्ट एरिया में लाया गया है, लेकिन रेस्ट एरिया भी जंगल में ही है। यहां आस-पास दुकानें हैं और हमें शाम को दुकानों पर जाने की अनुमति है। कैंप में हमारे पास वाई-फाई तो है, लेकिन हमें पासवर्ड नहीं दिया गया है, इसलिए हम कैंप से कॉल नहीं कर सकते हैं। तमांग ने प्रधान को यह भी बताया कि उसके अनुसार एक साल का एग्रीमेंट पूरा होने के बाद उन्हें जाने दिया जाएगा।