नई दिल्ली
दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना को सुप्रीम कोर्ट से कड़ी फटकार पड़ी है। फटकार भी ऐसी जहां पर दो टूक कहा गया है कि एलजी ने अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया, उन्होंने लीपापोती करने का काम किया। अब यह सबकुछ इसलिए सुनना पड़ा है क्योंकि दिल्ली के रिज एरिया में अभी भी पेड़ों की कटाई जा रही है। यह वो इलाका है जहां पर पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई गई थी।
आखिर कोर्ट क्यों इतना नाराज?
असल में पेड़ काटने को लेकर डीडीए की तरफ से एप्लीकेशन कोर्ट में पेंडिंग चल रही थी, उस वजह से कटाई पर भी रोक थी। लेकिन अब माना जा रहा है कि कोर्ट की स्वीकृति के बिना ही एलजी ने अपनी तरफ से इस काम को हरी झंडी दिखा दी और पेड़ काट दिए गए। इस मामले में जस्टिस अभय एस ओका और उज्जवल भुइयां की बेंच ने सुनवाई के दौरान एलजी वीके सक्सेना को जमकर फटकार लगाई है।
कोर्ट ने बोला क्या है?
उनका कहना है कि सुनवाई के पहले ही दिन हमे बता दिया जाना चाहिए थ कि एलजी ने पेड़ काटने के आदेश दे दिए हैं। तीन दिनों तक इस बात को छिपाया गया है, कवर अप किया गया। जब खुद एजी आर वेंकटरमाणी हमारे सामने पेश हुए थे, हम एलजी भूमिका तभी समझ चुके थे। दस्तावेज साफ दिखाते हैं कि डीडीए ने एलजी से परमीशन मांगी थी। साफ पता चलता है कि एलजी ने इस मामले में अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया। हमे तो लगता है कि एलजी खुद को ही कोर्ट मानने लगे हैं।
एलजी की चुप्पी
अब सुनवाई के दौरान एलजी पर तो सवाल उठे ही, उनके साथ-साथ डीडीए की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल उठाए गए। कोर्ट ने पूछा कि क्या पेड़ काटने से पहले एलजी को इस बात की जानकारी दी गई थी कि उन्हें सर्वोच्च अदालत की इजाजत लेनी पड़ेगी। कोर्ट को यहां तक लगता है कि इस मामले में एलजी इस बात से चिंतित थे कि कुछ प्रोजेक्ट में देरी हो रही थी, इस वजह से ही उन्होंने पेड़ काटने की इजाजत दे दी। अभी के लिए एलजी ने इस फटकार पर कोई सफाई पेश नहीं की है।