रुपौली उपचुनाव में नीतीश कुमार और लालू यादव दोनों की पार्टी हारी, निर्दलीय शंकर सिंह ने मारी बाजी

नई दिल्ली,

सात राज्यों में 13 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे शनिवार 13 जुलाई को घोषित हो गए हैं. सबसे चौंकाने वाला परिणाम बिहार की रुपौली सीट का रहा, जहां न तो लालू यादव का जादू चला और न ही सीएम नीतीश कुमार का. इन दोनों दिग्गजों की पार्टी के उम्मीदवारों को शिकस्त देते हुए ये सीट निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह ने जीत ली. उन्होंने इस उपचुनाव में सत्ताधारी जेडीयू के कलाधर मंडल को 8 हजार से अधिक वोटों से हराया. वहीं आरजेडी की बीमा भारती यहां तीसरे नंबर पर रहीं.

दरअसल, बीमा भारती के जेडीयू से आरजेडी में शामिल होने के बाद उनकी विधायकी चली गई थी. इसके बाद रुपौली सीट खाली हुई थी. बीमा भारती ने लोकसभा चुनाव से पहले आरजेडी ज्वाइन की थी और फिर पुर्णिया से लोकसभा चुनाव लड़ा था. हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा और पप्पू यादव ने यहां जीत दर्ज की.

इसके बाद खाली हुई रुपौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ. यहां 10 जुलाई को करीब 52.75 फीसदी मतदान हुआ था. उपचुनाव में बीमा भारती फिर से आरजेडी के टिकट पर मैदान में थीं. वहीं जेडीयू ने कलाधर मंडल को मैदान में उतारा था. जबकि एलजेपी (रामविलास) छोड़ने वाले शंकर सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े, जिन्होंने आरजेडी और जेडीयू उम्मीदवारों को शिकस्त देते हुए जीत दर्ज की.

किस प्रत्याशी को मिले कितने वोट?
चुनाव आयोग के मुताबिक आखिरी और 12वें राउंड की गिनती के बाद निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह को कुल 67782 वोट प्राप्त हुए. वहीं 59578 वोट के साथ जेडीयू के कलाधर मंडल दूसरे नंबर पर रहे, जबकि इसी सीट से पूर्व विधायक और आरजेडी प्रत्याशी बीमा भारती 30108 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहीं.

कौन हैं रुपौली सीट जीतने वाले शंकर सिंह?
जानकारी के लिए बता दें कि शंकर सिंह ने उपचुनाव से पहले एलजेपी (रामविलास) से इस्तीफा दिया था. इससे पहले वह 2005 में एलजेपी के टिकट पर रुपौली विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी. हालांकि तब किसी भी दल की सरकार नहीं बनने पर 6 महीने तक राष्ट्रपति शासन लागू हो गया था. इसके चलते शंकर सिंह कुछ ही दिनों तक विधायक रह सके. इसके बाद वह वर्ष 2010, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में दूसरे स्थान पर रहे. इस उपचुनाव में एनडीए गठबंधन के तहत यह सीट जेडीयू के पास गई तो चुनाव से पहले शंकर सिंह ने एलजेपी (रामविलास) से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा

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