नई दिल्ली,
हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में बारिश में देरी के कारण फसल को हुए नुकसान से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं. आलम ये है कि इन दिनों लोगों को टमाटर जैसी रोजमर्रा की चीजें दोगुनी कीमत पर खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. थोक बाजारों में विक्रेताओं ने बताया कि आलू, प्याज और टमाटर जैसी रसोई की मुख्य सब्जियों के साथ-साथ फूलगोभी, पत्तागोभी और लौकी जैसी हरी सब्जियों की कीमतें विशेष रूप से बढ़ गई हैं. आजादपुर सब्जी मंडी के एक व्यापारी ने बताया, “वर्तमान में टमाटर का थोक मूल्य लगभग 50 से 60 रुपये प्रति किलोग्राम है.”
पीटीआई के मुताबित टमाटर की स्थानीय किस्म 1,200 रुपये प्रति 28 किलोग्राम (1 क्रेट) और संकर किस्म 1,400 से 1,700 रुपये में बिक रही है. पहले ये लगभग 25-30 रुपये किलो में बिकते थे. थोक बाजार में अन्य सब्जियों की कीमत करीब 25 से 28 रुपये प्रति किलोग्राम है. जो सब्जियां 10 से 15 रुपये में बिकती थीं, वे अब 25 से 30 रुपये में मिल रही हैं. बीन्स की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है, जो 40 से 50 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही हैं. इसके पीछे का मुख्य कारण इस बार भीषण गर्मी से फसल को हुआ नुकसान है.
टमाटर की हिमाचल से होती है सबसे ज्यादा आपूर्ति
इस साल तेज गर्मी और देर से हुई बारिश के कारण कीमतों में उछाल आया है. आजादपुर मंडी के थोक विक्रेत भगत ने बताया कि ज्यादातर आपूर्तिकर्ता हिमाचल प्रदेश से टमाटर मंगाते हैं, जहां फसल सूख गई है. पहाड़ों में फसलें बारिश पर निर्भर करती हैं और इस बार बहुत गर्मी थी, बहुत कम बारिश हुई, जिससे पौधे सूख गए और कीटों से संक्रमित हो गए. सूखे के बाद भारी बारिश हुई, जिससे फसलों को और नुकसान पहुंचा. भगत ने बताया, “फिलहाल आपूर्ति कम है और गुणवत्ता खराब है.”
महाराष्ट्र से टमाटर आने में लगेगा समय
ओखला सब्जी मंडी के एक अन्य व्यापारी ने बताया कि अभी केवल दो जगहों से टमाटर की आपूर्ति हो रही है – कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश. अनुमान के मुताबिक, महाराष्ट्र से 10-15 अगस्त के आसपास नई फसल आने तक कीमतें ऊंची रहेंगी. उन्होंने बताया, “नई फसल को उगने में करीब 60 दिन लगते हैं. अनुमान है कि 15 अगस्त के आसपास कीमतें स्थिर होने लगेंगी. मांग अभी भी स्थिर है.
रसोई का बिगड़ा बजट
दिल्ली में पीटीआई से बात करने वाले कई लोगों ने कहा कि सब्जियों की ऊंची कीमतों ने उनके बजट को बिगाड़ दिया है. लक्ष्मी नगर सब्जी मंडी में किराने का सामान खरीद रही सरिता ने कहा, “मैं सीमित मात्रा में ही खरीद रही हूं और सिर्फ वही चीजें खरीद रही हूं जो रसोई में बिल्कुल जरूरी हैं. आम आदमी अभी सब्जियां नहीं खरीद सकता.”
महरौली सब्जी मंडी में दीपक ने कहा, “पहले 200 से 300 रुपये में हम पूरे हफ्ते की सब्जियां खरीद लेते थे, लेकिन अब यह दो से तीन दिन में ही खत्म हो जाती हैं. रसोई का बजट संभालना मुश्किल हो गया है.”
रेस्टोरेंट संचालकों पर भी बढ़ा दबाव
वहीं कई रेस्टोरेंट के लिए सब्जियों के दाम बढ़ने से ग्राहकों को परोसे जाने वाले व्यंजनों की लागत बढ़ गई है, लेकिन वे कीमतों में बदलाव करने से बचते हैं. कनॉट प्लेस में जेन रेस्तरां के मालिक और नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के मानद कोषाध्यक्ष मनप्रीत सिंह ने कहा, “अधिकांश रेस्तराओं में निश्चित मेनू होते हैं, और हमारे पास नियमित ग्राहक होते हैं, इसलिए हम आपूर्तिकर्ताओं की तरह अपनी कीमतों में उतार-चढ़ाव नहीं कर सकते. इससे हमारे मार्जिन पर दबाव पड़ता है. हम अपनी कीमतों में बहुत अधिक वृद्धि नहीं करने का प्रयास करते हैं, लेकिन कभी-कभी हमें इन अप्रत्याशित लागत वृद्धि के कारण सालाना ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है.”
उन्होंने कहा, “यह उन रेस्तराओं के लिए चुनौती है जिनके पास दाम लिखे हुए मेनू हैं, जिन्हें बार-बार नहीं बदला जा सकता. इलेक्ट्रॉनिक मेनू या टैबलेट वाले रेस्तरां अभी बहुत कम हैं.” यह पूछे जाने पर कि क्या टमाटर, लहसुन और धनिया जैसी वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के कारण रेस्तरां ने व्यंजनों में इनका उपयोग कम कर दिया है, सिंह ने कहा, ऐसा आमतौर पर तब तक नहीं किया जाता जब तक कि बिल्कुल आवश्यक न हो.