नई दिल्ली,
भारतीय जनता पार्टी के नए अध्यक्ष को लेकर कई खबरें आ रही हैं और नए पार्टी अध्यक्ष को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं. अभी तक आधिकारिक रुप से यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि कब तक पार्टी को नया अध्यक्ष मिल सकता है. पार्टी नए अध्यक्ष पर कब फैसला करती है और किस पर विश्वास जताती है, ये तो वक्त के साथ ही पता चलेगा. लेकिन, क्या आप जानते हैं आखिर बीजेपी में राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने को लेकर नियम क्या है और किन शर्तों को पूरी करने के बाद बीजेपी का एक नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष बन पाता है.
कैसे चुने जाते हैं बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष?
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर जल्द ही सदस्यता अभियान चलाया जाएगा और इसके बाद सक्रिय सदस्य यानी एक्टिव मेंबर का सदस्यता अभियान चलेगा. एक्टिव सदस्य अभियान में सभी बीजेपी नेता फिर एक्टिव सदस्य का फॉर्म भर अपना सत्यापन करवाते हैं. इसके बाद बीजेपी की स्थानीय इकाइयों, जिला अध्यक्षों, प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होगा. इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा.
अब आपको बताते हैं कि फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता कैसे है? बीजेपी के संविधान में धारा 19 के तहत राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता है. दरअसल, पार्टी में एक निर्वाचक मंडल होता है, जिसमें राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषद के सदस्य होते हैं. इस निर्वाचक मंडल में कुल 20 सदस्य राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव की योग्यता रखने वाले व्यक्ति के नाम का प्रस्ताव रखते हैं और फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता है.
कौन बन सकता है बीजेपी अध्यक्ष?
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के लिए सबसे पहले तो उम्मीदवार को सक्रिय सदस्य होना चाहिए. धारा-19 के तहत राष्ट्रीय अध्यक्ष वहीं होगा, जो कम से कम चार अवधि तक सक्रिय सदस्य रहा हो और कम से कम 15 साल तक प्राथमिक सदस्य रहा हो. फिर उस नामांकन पत्र पर उम्मीदवार की स्वीकृति दी जाएगी.
कौन होता है सक्रिय सदस्य?
धारा-12 के हिसाब से पार्टी का सक्रिय सदस्य उसे माना जाता है, जो कम से कम 3 साल से पार्टी का सदस्य हो. ये सदस्य बनने के लिए 100 रुपये के पार्टी कोष में देने के साथ ही जिला कार्यालय में अप्लाई किया जाता है और अगर पार्टी एक्टिव सदस्य बनने का आवेदन रिजेक्ट करती है तो सदस्य को 100 रुपये वापस नहीं मिलेंगे. साथ ही ये सदस्य प्रदेश या केंद्र की पार्टी पत्रिका के ग्राहक भी बनते हैं और उसे पार्टी के आंदोलनात्मक कार्यक्रमों में भी शामिल होना होगा.
एक बार सक्रिय सदस्य बनने के बाद ही कोई सदस्य मंडल समिति या उससे ऊपर की किसी समिति या परिषद् का चुनाव लड़ने का अधिकारी होगा. बता दें कि पार्टी हर पदाधिकारी या नेता को समय-समय पर एक्टिव मेंबर सदस्य बनना होता है और ये जिला स्तर पर ही एक्टिव मेंबर ही बन पाता है. वैसे सदस्य आमतौर 6 साल तक रहते हैं और इसके बाद सदस्यता को रीन्यू करवाना होता है.
हर एक काल खंड के बाद फिर से सदस्यता पत्र भरना होता है और एक व्यक्ति एक ही स्थान से सदस्य हो सकता है. बता दें कि इस 100 रुपये में इसमें राष्ट्रीय, राज्य, जिला, मंडल इकाई को सभी का हिस्सा होता है. ऐसे में इस 100 रुपये के भुगतान के बाद ही कोई राष्ट्रीय परिषद् में शामिल हो पाता है और फिर चुनाव लड़ पाता है.