लखनऊ
यूपी में अपने वोटरों तक पहुंच बढ़ाने के लिए जुटी कांग्रेस ने वर्गवार सम्मेलन करवाने का फैसला किया है। कांग्रेस की मंशा है कि हर तबके तक पार्टी की पहुंच बनाई जाए और उनकी बात सुनी जाए, कांग्रेस की बात कही जाए। कांग्रेस मान रही है कि इस तरह से वह अलग-अलग वर्गों के वोटरों में अपनी पैठ बना सकेगी, जिसका फायदा उसे साल 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों में मिलेगा।
वर्गवार सम्मेलन यूं तो कोई नई योजना नहीं है, लेकिन बीते कुछ समय से कांग्रेस ने इस तरह के सम्मेलन बंद कर रखे थे। लोकसभा चुनावों के परिणामों से उत्साहित कांग्रेस अब जब 2027 की तरफ नजरें टिका रही है, तो उसे इस तरह के सम्मेलन जरूरी मालूम दे रहे हैं। सूत्रों की मानें तो पहले कांग्रेस में जातियों के सम्मेलन पर विचार किया जा रहा था, लेकिन कांग्रेस एक बड़ा वर्ग यह मानता है कि लोकसभा चुनावों में हर जाति के वोटरों ने हम पर भरोसा जताया है। दलितों का वह वोट जोकि परंपरागत तौर पर भाजपा या बसपा को जाता था, वह भी हमारे पास आया है। ऐसे में जातिवार सम्मेलन करवाने का फैसला उचित नहीं होगा। सूत्र बताते हैं कि आउटरीच कार्यक्रमों के रफ्तार पकड़ने के साथ ही इस तरह के सम्मेलनों की शुरुआत की जाएगी, जोकि विधानसभा चुनावों तक जारी रहेगी।
दलित बस्तियों में किया था सहभोज
हाल ही में देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम की पुण्यतिथि के अवसर पर कांग्रेस दलित बस्तियों में सहभोज के कार्यक्रम आयोजित किए थे। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय खुद खुर्रमनगर पहुंचे थे। तीन दिनों तक हुए इस कार्यक्रम से कांग्रेस एक बार अपने परंपरागत वोटर रहे दलितों के पास पहुंची थी। आगे भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित होंगे। सम्मेलनों में उनके हक की बात की जाएगी। कांग्रेस अपने वादों को उनके सामने रखेगी और उन्हें वोटरों के तौर पर सहेजने की कोशिश करेगी।
कायम रहेगा आरक्षण का मुद्दा
लोकसभा चुनावों के दरम्यान आरक्षण का मुद्दा काफी जोर-शोर से उठा था। लोकसभा चुनावों में आरक्षित वर्ग ने कांग्रेस और सपा का साथ भी दिया। चुनाव बाद भाजपा नीत सरकार को घेरने में उसके क्षत्रप ही आगे आए। अनुप्रिया पटेल से लेकर डॉ. संजय निषाद तक ने सरकार को सही तरह से आरक्षण लागू करने के लिए कहा। यह भी चेताया कि जिन दलों ने आरक्षित वर्ग के साथ भेदभाव किया है, वे उठ नहीं सके हैं। जाहिर है कि आरक्षण का मुद्दा साल 2027 तक रुकता, तो नहीं दिख रहा है। कम से कम नौकरियों में हकमारी की बात तो नहीं ही थमने जा रही है। कांग्रेस हर भर्ती में आरक्षित वर्ग के हक से समझौता किए जाने का आरोप लगा रही है। वैसे, सपा भी इस मसले पर चुप नहीं है। अंबेडकर नगर सीट से सांसद लालजी वर्मा ने हाल ही में उन्होंने यूपीएसएसएससी द्वारा निकाले गए भर्ती विज्ञापनों में ओबीसी और एससी वर्ग को आरक्षित कोटे से कम सीट एलॉट किए जाने के सवाल खड़े किए हैं।