लखनऊ
लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी में बीजेपी को मिली हार के बाद पार्टी के अंदर क्या सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। हार की समीक्षा के लिए योगी आदित्यनाथ की ओर से बुलाई गई बैठक में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य नहीं पहुंचे थे। इसके बाद से दोनों के बीच सबकुछ ठीक नहीं होने की चर्चा तेज हो गई थी। सोमवार को केशव प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर से बयान देकर हलचल मचा दी है। बीजेपी कार्य समिति की बैठक में केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि संगठन हमेशा सरकार से बड़ा रहा है। जिस समय केशव प्रसाद मौर्य ने यह बयान दिया, उस समय मंच पर सीएम योगी और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी मौजूद रहे। उनके बयान के तरह-तरह के मायने निकाले जा रहे हैं। कोई कह रहा है कि केशव प्रसाद ने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए ऐसा कहा, तो कोई कह रहा है कि सरकार की नाराजगी की वजह से उन्होंने कहा और सीधे योगी को चुनौती दी। इस बीच, मंगलवार दोपहर को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और भूपेंद्र चौधरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने दिल्ली पहुंचे। शाम को केशव प्रसाद मौर्य और जेपी नड्डा की मुलाकात चल रही है। उनकी मुलाकात के बीच यूपी सरकार में सबकुछ ठीक नहीं होने की चर्चा तेज हो गई।
2017 में बीजेपी की प्रचंड जीत, पर सीएम योगी का बनना
आइए विधानसभा चुनाव 2017 में चलते हैं। 2017 से पहले यूपी सपा की सरकार की। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान केशव प्रसाद मौर्य अध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। केशव प्रसाद मौर्य खुद ओबीसी से आते हैं और उन्होंने सीट बंटवारे में जातियों को साधने में सफलता हासिल की थी, जिसका फायदा बीजेपी को मिला, लेकिन अचानक से सीएम योगी आदित्यनाथ को बना दिया गया। उन्हें डिप्टी सीएम के पद से संतोष करना पड़ा था। बताया जाता है कि वही से दोनों के बीच मनमुटाव शुरू हुआ, जो अब तक जारी है। हालांकि, उस समय मनोज सिन्हा का भी नाम सीएम रेस में आया था, लेकिन योगी ने बाजी मारी थी।
2022 में केशव प्रसाद मौर्य की हार
अब चलते हैं 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी दूसरी बार लगातार पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई, लेकिन इस चुनाव में कई उलटफेर हुए, जिसमें डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का हारना। पल्लवी पटेल ने उनको हराया था। उस समय चर्चा तेज चली थी कि वो हारे नहीं, बल्कि उनको हराया गया। हालांकि, हार के बाद केशव प्रसाद मौर्य दोबारा डिप्टी सीएम बने, लेकिन उनको 2017 की तरह पावर नहीं दिया गया। 2017 में लोक निर्माण विभाग केशव के पास था, जबकि 2022 में उनको ग्राम विकास एवं समग्र विकास, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग का प्रभार दिया गया।
2024 लोकसभा चुनाव में योगी को नजरअंदाज करना
लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी की 80 सीटों में से 50 पर जब नाम तय किए गए, तो कमेटी की औपचारिक बैठक से पहले नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा ने लोक कल्याण मार्ग पर अनौपचारिक बैठक कर ली। इस दौरान योगी आदित्यनाथ करीब दो घंटे तक इंतजार करते रहे थे। बाद में औपचारिक बैठक में नाम पढ़ दिए गए थे। बताया जाता है कि योगी आदित्यनाथ ने 35 सांसदों के नाम काटने के सुझाव दिए थे, जिसको नहीं माना गया और इनमें 27 प्रत्याशी चुनाव हार गए। यही कारण रहा था कि लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी में हार मिलने के बाद से किसी पर भी हार की जिम्मेदारी नहीं दी गई है। बताया जाता है कि योगी पहले से ही जवाब देने के मूड में हो गए थे। हार के कारणों का पता लगाने के लिए 40 सदस्यीय टास्क फोर्स बनाई गई, लेकिन उसने केंद्रीय चुनाव समिति के तरीकों और फैसलों की जांच ही नहीं की।