क्या है केदारनाथ मंदिर से 228 KG सोना गायब होने का मामला, जिसका शंकराचार्य ने किया जिक्र?

क्या केदारनाथ धाम से 228 किलो सोना गायब हो गया है? शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने ये दावा किया है. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने इसे ‘सोना घोटाला’ नाम दिया है.अविमुक्तेश्वरानंद ने मीडिया से बात करते हुए कहा, केदारनाथ में सोने का घोटाला हो गया. अब वहां घोटाला हो गया तो दिल्ली में केदारनाथ बना रहे हो. वहां पर फिर दूसरा घोटाला करोगे. 228 किलो सोना, केदारनाथ से गायब कर दिया गया है. कोई जांच तक नहीं बैठाई गई.

ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने दिल्ली में केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर बन रहे मंदिर पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि केदारनाथ मंदिर हिमालय में है और उसे दिल्ली में नहीं बनाया जा सकता.

क्या है 228 किलो का सोना घोटाला?
शंकराचार्य ने जिस सोना घोटाला का जिक्र किया है, वो मामला जून 2023 में सामने आया था. तब केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी संतोष त्रिवेदी ने आरोप लगाया था कि मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर 125 करोड़ रुपये का सोना मड़वाया गया था.

ये सोना 2005 में मंदिर की दीवारों पर लगवाया गया था. किसी दानदार ने ये सोना दान में दिया था. लेकिन संतोष त्रिवेदी ने दावा किया था कि वो सोना अब पीतल में बदल गया है. उन्होंने बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) पर गड़बड़ी का आरोप लगाया था. हालांकि, मंदिर समिति ने इन आरोपों को खारिज किया था और प्रबंधन को बदनाम करने की साजिश बताया था.

दिल्ली में बन रहे केदारनाथ मंदिर का विरोध क्यों?
राजधानी दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ मंदिर बनाया जा रहा है. ये ठीक वैसा ही मंदिर होगा, जैसा रुद्रप्रयाग में स्थित केदारनाथ का मंदिर है. कुछ दिन पहले ही इसका भूमि पूजन हुआ है. इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा, महामंडलेश्वर कैलाशनंद गिरी जी महाराज और केदारनाध धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला भी मौजूद थे.

दिल्ली में बनने जा रहे इस मंदिर का उत्तराखंड में भी जमकर विरोध हो रहा है. संतों और पुजारियों ने इसके विरोध में आंदोलन शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि दिल्ली में केदारनाथ धाम के नाम पर मंदिर बनाना हिमालय की गोद में बसे केदारनाथ धाम की पवित्रता का अपमान है.

वहीं, शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने भी इसका पुरजोर विरोध किया है. उनका कहना है कि प्रतीकात्मक केदारनाथ मंदिर नहीं बन सकता. उन्होंने कहा कि शिवपुराण में 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम बताए गए हैं और जहां पर इनके नाम बताए गए हैं, वहीं पर पता भी बताया गया है. जैसे- सौराष्ट्रे सोमनाथम. पहले सौराष्ट्र यानी पता और फिर सोमनाथ. उसी तरह से केदारम हिमवत पृष्ठे यानी कि जो केदार है वो हिमालय के पृष्ठ भाग में है. माने हिमालय में केदार है तो आप दिल्ली में कहां से लाकर रख दोगे.

शंकराचार्य ने कहा कि शिवपुराण में जब साफ-साफ बताया गया है कि ये यहां लोकेटेड है तो आप उसका लोकेशन क्यों बदलना चाहते हैं? क्यों जनता को भ्रम में डालना चाहते हैं? भगवान के हजार नाम हैं, किसी नाम से स्थापना करके पूजा करिए. लेकिन केदारनाथ धाम दिल्ली में बनेगा, ये अनाधिकार चेष्टा है और ऐसा नहीं होना चाहिए.

सरकार का क्या है कहना?
दिल्ली में केदारनाथ धाम की तर्ज पर बन रहे मंदिर के भूमि पूजन समारोह में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद थे. ऐसे में इस पर सियासत भी तेज हो गई है. हालांकि, बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समित के अध्यक्ष अजयेंद्र अजय ने सफाई देते हुए कहा कि इससे राज्य सरकार का कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में मंदिर निर्माण से उत्तराखंड सरकार का कोई लेना-देना नहीं है. ये काम केदारनाथ ट्रस्ट नाम की संस्था कर रही है. अजय ने दावा किया कि राज्य सरकार की ओर से कोई वित्तीय मदद भी नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कुछ संतों के अनुरोध पर शिलान्यास समारोह में शामिल हुए थे, क्योंकि ये एक धार्मिक कार्यक्रम था.

केदारनाथ ट्रस्ट का क्या है कहना?
देवभूमि रक्षा अभियान के प्रमुख स्वामी दर्शन भारती ने कहा कि बाबा केदार के नाम का दुरुपयोग करना पाप है. उन्होंने कहा कि मैं सभी सनातनियों से इस साजिश को नाकाम करने की अपील करता हूं. वहीं, इस पूरे विवाद पर अब ट्रस्ट मंदिर का नाम बदलने को तैयार हो गया है. श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट के प्रमुख सुरेंद्र रौतेला ने कहा कि दिल्ली में मंदिर बन रहा है, धाम नहीं बनाया जा रहा है.

सुरेंद्र रौतेला ने कहा कि कुछ लोगों को आपत्ति है कि ये केदारनाथ धाम नहीं होना चाहिए, केदारनाथ मंदिर नहीं होना चाहिए. अगर किसी श्रद्धालु को, पुरोहितों को या समाज को हमारे इस नाम से आपत्ति है या वो आहत हुए हैं तो जरूर हम इसका नाम बदलेंगे. उन्होंने बताया कि मंदिर का नाम बदलने की चर्चा समिति में कर ली गई है और नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. उन्होंने ये भी बताया कि उत्तराखंड सरकार का इस सबसे कोई लेना-देना नहीं है.

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