नई दिल्ली:
लोकसभा चुनाव में इस बार कई राज्यों में बीजेपी का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा। जिन राज्यों में बीजेपी का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा उनमें सबसे अधिक चर्चा उत्तर प्रदेश की है। ऐसा भी नहीं है कि यह चर्चा सिर्फ पार्टी के प्रदर्शन को लेकर है। चर्चा इससे कहीं अधिक पार्टी के भीतर दो बड़े नेताओं के बीच मनमुटाव को लेकर है। पार्टी का प्रदर्शन पहले ही ठीक नहीं रहा और जल्द ही यूपी की दस सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं। ऐसे में दिल्ली के नेताओं की टेंशन भी यूपी को लेकर बढ़ गई है। अब इस पूरे विवाद को सुलझाने की कोशिश दिल्ली से हो रही है। पार्टी के बड़े नेताओं की मीटिंग लगातार चल रही है। हालांकि अभी तक किसी ने सामने आकर कुछ नहीं बोला है लेकिन इस पूरी चर्चा के बीच ऐसी संभावना बनती दिख रही है कि यूपी बीजेपी संगठन और योगी कैबिनेट दोनों में बदलाव संभव है।
यूपी में क्या इस फॉर्मूले से बनेगी बात
यूपी बीजेपी को एक नया प्रदेश अध्यक्ष जल्द मिल सकता है। ऐसी खबर भी है कि यूपी में हार के बाद ब्लेमगेम के बीच वर्तमान अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक के बाद इस्तीफे की पेशकश की है। इसके साथ ही योगी मंत्रिमंडल में भी फेरलबदल तय माना जा रहा है। योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में इस साल शुरुआत में आरएलडी और राजभर की पार्टी के एनडीए में शामिल होने के बाद कैबिनेट विस्तार हुआ था। उस कैबिनेट विस्तार के बाद जल्द एक और फेरबदल देखने को मिल सकता है। इस फेरबदल में पार्टी के पिछड़े चेहरों को मौका मिल सकता है। साथ ही जिन इलाकों में बीजेपी हारी है वहां अधिक प्रतिनिधित्व मिल सकता है।
10 सीटों पर उपचुनाव की बड़ी चुनौती
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच मनमुटाव की चर्चा को लेकर विपक्षी दलों की ओर से लगातार बीजेपी पर तंज कसा जा रहा है। सपा, कांग्रेस इस मौके को अपने पक्ष में भुनाने में लगी है। इस चर्चा के बीच बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य के नेताओं से सार्वजनिक बयान बंद करने और आगामी 10 उपचुनावों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा है। मुख्यमंत्री ने इन 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर आज ही मंत्रियों के साथ मीटिंग की लेकिन राज्य को दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक इस बैठक से गायब रहे।
मनमुटाव की चर्चा काफी पुरानी
यूपी से लेकर दिल्ली तक बीजेपी के नेताओं के बीच मनमुटाव की चर्चा उस वक्त अधिक तेज हो गई जब केशव प्रसाद मौर्य ने सरकार और संगठन वाला बयान दिया। वैसे तो इसकी चर्चा उस वक्त से ही शुरू है जब मौर्य पिछले एक महीने में आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कई कैबिनेट मीटिंग में शामिल नहीं हुए। इन दोनों नेताओं के बीच मनमुटाव की चर्चा योगी के पहले कार्यकाल और दूसरे कार्यकाल में भी शुरू है। पार्टी के इस कलह को जल्द दूर नहीं किया गया तो बीजेपी को आने वाले वक्त में और अधिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को भी यह बात पता है और इसलिए जल्द यूपी को लेकर एक नया प्लान सामने आने की पूरी गुंजाइश है।