नई दिल्ली:
देश का सबसे बड़ा औद्योगिक घराना टाटा ग्रुप रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में बड़ा दांव खेलने की तैयारी में है। ग्रुप की कंपनी टाटा पावर ने इस फाइनेंशियल ईयर में कैपेक्स पर 20,000 करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की है। यह रकम पिछले साल के मुकाबले करीब दोगुनी है। इसमें से अधिकांश राशि रिन्यूएबल एनर्जी पोर्टफोलियो को मजबूत करने पर खर्च किए जाएंगे। कैपेक्स के लिए रकम का इंतजाम कर्ज और कंपनी के कैश फ्लो के जरिए किया जाएगा। कंपनी के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन में मंगलवार को शेयरहोल्डर्स की मीटिंग में यह बात कही। ग्रीन एनर्जी सेक्टर में टाटा ग्रुप का मुकाबला रिलायंस इंडस्ट्रीज और अडानी ग्रुप से होगा।
मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज और गौतम अडानी के अगुवाई वाले अडानी ग्रुप ने रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में बड़े निवेश की घोषणा की है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने ग्रीन एनर्जी में 75 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की है। अडानी ग्रुप ने 2030 तक 2.3 लाख करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है। हाल में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक अडानी ग्रुप ने ग्रीन हाइड्रोजन बिजनस के पहले चरण के लिए नौ अरब डॉलर के निवेश की योजना बनाई है। इसमें से चार अरब डॉलर का निवेश मशीनरी, मैन्युफैक्चरिंग प्लांट आदि पर किया जाएगा जबकि पांच अरब डॉलर 5 गीगावॉट इलेक्ट्रोलाइजर मेकिंग कैपिसिटी के विकास पर खर्च किए जाएंगे।
अंबानी की योजना
रिलायंस सौर ऊर्जा उत्पादन से लेकर हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और उसके वितरण तथा खपत तक के पूरी हरित ऊर्जा मूल्य श्रृंखला के लिए गीगा-कारखानों का निर्माण कर रही है। अंबानी किसी भी कारोबारी बदलाव को जबर्दस्त तरीके से क्रियान्वित करने के लिए जाने जाते हैं। पिछले दशक के दौरान उन्होंने रिलायंस को ऊर्जा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी से उपभोक्ता सेवा क्षेत्र की अग्रणी कंपनी बना दिया थाॉ। अपनी विश्वस्तरीय क्रियान्वयन की क्षमता और कर्ज-मुक्त बही खाते के साथ रिलायंस ने स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में निवेश शुरू कर दिया है। गुजरात के जामनगर के धीरूभाई अंबानी हरित ऊर्जा परिसर में चार गीगा-कारखानों का निर्माण चल रहा है।