नई दिल्ली
हरियाणा लोकसभा चुनाव 2024 में अपने प्रदर्शन में सुधार के बाद अब कांग्रेस की नजरें आने वाले विधानसभा चुनावों पर है। हालांकि, उससे पहले राज्य कांग्रेस में गुटबाजी और अंदरूनी कलह की खबरें भी सामने आती रही हैं।हरियाणा में अक्टूबर 2024 में विधानसभा के चुनाव होने हैं उससे पहले एआईसीसी महासचिव और सिरसा से पार्टी की सांसद कुमारी शैलजा राज्य के शहरी इलाकों में कांग्रेस को मजबूत करने के उद्देश्य से जुलाई के अंत तक पदयात्रा शुरू करेंगी।
हुड्डा की धुर विरोधी मानी जाने वालीं शैलजा की यात्रा राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को घेरने के लिए हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा चलाए जा रहे “हरियाणा मांगे हिसाब” अभियान के साथ चलेगी। इस अभियान की शुरुआत 15 जुलाई को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के निर्वाचन क्षेत्र करनाल से रोहतक के सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने की है।
द इंडियन एक्सप्रेस को दिये एक इंटरव्यू में शैलजा ने राज्य कांग्रेस में “संरचनात्मक बदलाव” की वकालत करते हुए कई मुद्दों पर बात की। उनका कहना है कि हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा खेमे का वर्चस्व रहा है। हरियाणा में कांग्रेस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने की बात पर कुमारी शैलजा ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान ने 26 जून, 2024 को मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में हुई बैठक (जिसमें राहुल गांधी भी शामिल थे) में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि सभी को मिलकर काम करना चाहिए। लेकिन मुझे नहीं लगता कि ऐसा प्रभारी (बावरिया) या राज्य इकाई में प्रमुख पदों पर बैठे किसी भी व्यक्ति की ओर से किया जा रहा है।
यहां एक गुट का एकाधिकार है- कुमारी शैलजा
क्या आपको लगता है कि हरियाणा पार्टी इकाई में संरचनात्मक बदलाव की जरूरत है? इस सवाल के जवाब में शैलजा ने कहा, “अगर चीजें वैसे ही चलती रहीं जैसे वे चल रही हैं तो बदलाव जरूरी है। यह अभी पूरी तरह से एकतरफा है, जो विधानसभा चुनावों में वांछित परिणाम नहीं लाएगा। इससे गलत संदेश जाता है। इस समय यहां एक गुट का एकाधिकार प्रतीत हो रहा है।”
अपनी पदयात्रा के सवाल पर शैलजा ने कहा, “पदयात्रा को अंतिम रूप दिया जा रहा है। तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। मुझे उम्मीद है कि इसे इस महीने के अंत तक लॉन्च कर दिया जाएगा। यह यात्रा हरियाणा के शहरी विधानसभा क्षेत्रों पर केंद्रित होगी।”
दीपेंद्र हुड्डा से कैसे अलग है शैलजा की पदयात्रा?
HPCC ने भी इसी तरह की पदयात्रा की घोषणा की थी और दीपेंद्र हुड्डा पहले ही इसकी शुरुआत कर चुके हैं। ऐसे में आपकी पदयात्रा किस तरह से अलग है? इस सवाल के जवाब में सिरसा सांसद ने कहा कि मुझे नहीं पता कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी या कौन क्या कर रहा है। मैं इसमें शामिल नहीं थी। मुझे कोई अंदाजा नहीं है कि हुड्डा खेमा क्या कर रहा है।
‘कांग्रेस को शहरी क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत’
क्या कांग्रेस को ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है? इस सवाल पर शैलजा ने कहा, लोकसभा चुनावों के नतीजों से पता चला है कि बीजेपी शहरी विधानसभा क्षेत्रों में आगे रही। हमें इसे बदलने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत है।”
उन्होंने आगे कहा, “एक तरफ जहां देश का राजनीतिक परिदृश्य बदल रहा है और हाल के उपचुनावों में भी जिस तरह से बीजेपी बैकफुट पर आई है, उसका आने वाले हरियाणा विधानसभा चुनावों पर भी काफी असर पड़ेगा। लोगों की मानसिकता में पहले से ही बदलाव आ रहा है, चाहे वह ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी। वे भाजपा में कमी महसूस कर रहे हैं और निश्चित रूप से बदलाव चाहते हैं।”
हरियाणा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन में सुधार के बाद क्या अब पार्टी को विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है? इस सवाल पर कुमारी शैलजा आने कहा, “निश्चित रूप से, अगर लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण बेहतर तरीके से किया गया होता तो हम और बेहतर प्रदर्शन कर सकते थे। अगर पार्टी आलाकमान को सही फीडबैक दिया गया होता तो आज स्थिति कुछ और होती।”
राजनीतिक दल | विधानसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | विधानसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2024 में मिली सीट |
कांग्रेस | 15 | 1 | 31 | 0 | 5 |
बीजेपी | 47 | 7 | 40 | 10 | 5 |
हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी
इससे पहले विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की तैयारियों की समीक्षा के लिए 26 जून को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा आयोजित एआईसीसी बैठक में सिरसा सांसद ने दीपक बाबरिया पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाले पार्टी गुट से प्रभावित होने का आरोप लगाया था। कुमारी शैलजा ने कहा था कि अगर टिकट का बंटवारा सही ढंग से हुआ होता तो कांग्रेस हरियाणा कि सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज कर सकती थी।
विधानसभा चुनाव 2019 के परिणाम
पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के लिए हुए मतदान में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। बीजेपी को 40 सीटों पर और कांग्रेस को 31 सीटों पर जीत मिली थी। चुनाव के बाद भाजपा ने जननायक जनता पार्टी और सात निर्दलीय विधायकों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी।