नई दिल्ली/बेंगलुरु
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने एक कार्यक्रम में कहा कि अंतरिक्ष तकनीक से केवल एक निश्चित गहराई तक ही खोजबीन संभव है और पीड़ितों को खोजने के लिए इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। एस सोमनाथ इसरो की ओर से आयोजित एक आउटरीच कार्यक्रम में सवाल का जवाब दे रहे थे। सोमनाथ केरल में हाल ही में हुए भूस्खलन की घटना पर कहा कि मलबे के नीचे दबे हुए वस्तुओं का पता लगाने के लिए अंतरिक्ष आधारित सेंसर की सीमाएं हैं, जो वर्तमान में एक समस्या है।
सेंसर की भी सीमाएं हैं
इसरो के आउटरीच कार्यक्रम में बोलते हुए एस सोमनाथ ने आगे कहा कि अंतरिक्ष से जमीन के बहुत नीचे की चीजों का पता लगाना संभव नहीं है। रडार सिग्नल से एक निश्चित गहराई तक खोजबीन तो संभव है, लेकिन भूमिगत नदियां या पेट्रोलियम जमा और गहरे खनिजों को ढूंढना संभव नहीं है। उनसे इंस्टाग्राम पर #asksomanathisro के तहत पूछा गया था।
गगनयान मिशन पर क्या बोले इसरो चीफ?
#asksomanathisro के दौरान गगनयान मिशन से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए एस सोमनाथ ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन जाने की प्रक्रिया से ही हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। हमारे एक अंतरिक्ष यात्री को पूरी जमीनी तैयारी की प्रक्रिया में प्रशिक्षित किया जाएगा। इससे हमें पता चलेगा कि गगनयान मिशन के लिए गगनयात्रियों को कैसे तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब गगनयात्री असल में उड़ान का अनुभव लेंगे और पहले से वहां मौजूद अंतरराष्ट्रीय दल के साथ काम करेंगे, तो उन्हें वास्तव में उस तरह का ज्ञान और कौशल मिलेगा, जिससे इसरो भारत के मिशन के लिए तैयार हो जाएगा।
इसरो प्रमुख ने इसरो की शुरुआती असफलताओं के बारे में भी बात की, जिसने अंततः इसकी सफलताओं का मार्ग प्रशस्त किया। सोमनाथ ने कहा कि हमें काफी असफलताएं भी मिली हैं, और वे सभी हमारे पीछे हैं। लेकिन असफलताओं पर वापस देखना और समझना कि वे पहली जगह में क्यों असफल हुईं, यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। उनके बारे में बात करना भी जरूरी है।
23 अगस्त को मनाया जाएगा नेशन स्पेस डे
एस सोमनाथ ने यह भी कहा कि उन्हें 23 अगस्त को मनाए जाने वाले पहले राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस(National Space Day) को लेकर बहुत उत्साह है। यह दिन 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के सम्मान में मनाया जाएगा। लगभग 2000 लोगों ने इस एक घंटे के सत्र में हिस्सा लिया। इस दौरान सोमनाथ ने कई तकनीकी सवालों के जवाब भी दिए जो विभिन्न मिशनों के कामकाज से जुड़े थे। उन्होंने इस बारे में भी बताया कि कैसे एक सिविल इंजीनियर या जीवन विज्ञान या जीव विज्ञान की पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति अंतरिक्ष विज्ञान में अपना करियर बना सकता है। यह सत्र महीने में एक बार आमतौर पर सप्ताहांत पर आयोजित किया जाता है।