नई दिल्ली
केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड की शक्तियों पर कटौती करने की तैयारी कर रही है। कल सुबह 11 बजे लोकसभा में अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू वक्फ संशोधन बिल को पेश करने वाले हैं। हालांकि वक्फ संशोधन विधेयक का कांग्रेस खूब विरोध कर रही है। इस बीच भारत के सूफियों की एक बड़ी संस्था, ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल ने संसद में पेश होने वाले प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन किया है।
हालांकि इसके साथ ही उन्होंने दरगाहों को संचालित करने के लिए एक अलग अधिनियम की मांग की है। बता दें कि परिषद ने सोमवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू से भी मुलाकात की और संशोधनों के लिए अपना समर्थन दिया। ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के अध्यक्ष सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि परिषद इस सरकार द्वारा प्रस्तावित (कानून में) संशोधनों का समर्थन करती है। इसकी सख्त जरूरत है।
दरगाह के लिए की मांग
सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने आगे कहा कि दरगाहों की हिस्सेदारी सबसे अधिक है और हमारी मांगों को पूरा किया जाना चाहिए। हमें पूरा विश्वास है कि सरकार मुसलमानों के पक्ष में विधेयक पेश करेगी। उन्होंने कहा कि लोगों को गलत जानकारी नहीं फैलानी चाहिए और सरकार द्वारा संसद में पेश किए जाने पर पहले विधेयक के प्रावधानों को देखना चाहिए। दरगाहों को अपनी संपत्तियों का सात प्रतिशत वक्फ बोर्ड को आवंटित करना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि संशोधन इसलिए भी जरूरी है क्योंकि वक्फ बोर्ड में नियुक्त सदस्य न तो सुफी विश्वास को समझते हैं और न ही दरगाहों की परंपराओं और रीति-रिवाजों को जानते हैं और मनमाने ढंग से काम करते हैं और मांग की है कि सज्जादानशीन का एक प्रतिनिधि राज्य वक्फ बोर्ड का सदस्य होना चाहिए।
‘विधेयक का अध्ययन करके बनाए राय’
उन्होंने आगे कहा कि हम दरगाह और वक्फ की सामूहिक आय का उपयोग समुदाय के बेहतरी के लिए करने की वकालत करते हैं। सूफी नेता ने कहा कि विधेयक का गहन अध्ययन करने और उसके बाद ही राय बनाने के बजाय, इसके मसौदे के उपलब्ध होने से पहले ही विचार व्यक्त करना और मांगें उठाना बुद्धिमानी होगी। वक्फ बोर्ड के भीतर बहुत भ्रष्टाचार हुआ है, जिसे रोकने की जरूरत है। इस मामले पर परिषद ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को पत्र भी लिखा। जिसमें कहा गया कि हमें उम्मीद है कि वक्फ संशोधन विधेयक का मसौदा व्यापक होगा और सभी हितधारकों के हितों की पूर्ति करेगा। परिषद ने यह भी कहा कि वह मसौदा विधेयक अपलोड होने के बाद सिफारिशें प्रस्तुत करेगी। यदि कानून राष्ट्र, दरगाहों और खानकाहों के हितों के अनुरूप होगा, तो यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी।