भोपाल।
देश की महारत्न कंपनी में शुमार और विदेशों में भी अपने कार्य के दम पर देश का प्रतिनिधित्व करने वाली भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) भोपाल यूनिट में कुछ ऐसा देखने को मिला कि जिसने भी सुना वह आश्चर्यचकित रह गया। दरअसल मामला ऐसा हैं कि विगत दिनों भेल कारखाने के स्विचगियर विभाग के एक प्रबंधक स्तर के अधिकारी भेल कारखाने के प्रवेश द्वार पर अपनी चार पहिया वाहन से कॉपर चोरी करते हुए रंगे हाथ पकड़ाए, लेकिन प्रबंधन ने उसके खिलाफ संबंधित थाने में एफआईआर करने के बजाए उसे सस्पेंड कर जांच के लिए जांच कमेटी बैठा दी। जब यह अफसर कॉपर चोरी के मामले में रंगे हाथों पकड़ाए तो इसके चाहने वाले अफसर तब से ही इसे बचाने में लग गए। एफआईआर तो हुई नहीं अब जांच कमेटी की उस अफसर पर मेहरबानी की चर्चाएं आम हो गई हैं। मामला कुछ इस तरह है जब सीआईएसएफ कारखाने के ब्लॉक नंबर 4 स्टोर की जांच की तो वहां भी काफी हेराफेरी मिली है।
जांच के बीच झांसी ट्रांसफर के निकले आदेश
कारखाने के गलियारों में चर्चा का विषय यह भी है कि जब इस मैनेजर की जांच चल रही है तो उसी बीच इस अधिकारी का ट्रांसफर कैसे कर दिया। बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर इस प्रबंधक के पीछे किसका शुभ लाभ छिपा हैं। यह भी एक जांच का विषय है आखिरकार महारत्न कंपनी को यह भी जानना चाहिए कि इस प्रबंधक के तार कहां तक हैं लेकिन महारत्न कंपनी ने जांच को ठंडे बस्ते में डाल प्रबंधक को झांसी भेजने के आदेश तक जारी कर दिए है। कारखाने के गलियारों में तो दबी जुबान से यह भी कहा जा रहा है कि भोपाल यूनिट मेें तो चोरी पकडी गई अब झांसी यूनिट का क्या होगा।
कारखाने में चोरी की पहली घटना नहीं
यूं तो महारत्न कंपनी में चोरी की यह कोई पहली घटना नहीं है। महारत्न कंपनी में इससे पहले भी कई चोर कंपनी के हत्थे चढ़ चुके है। हाल ही में गेट नं 6 के गेट पर एक सफेद रंग की कार में लाखोें रूपए की कीमती छड़े ले जाते हुए एक सोसायटी श्रमिक को रंगे हाथों पकडा गया था। उक्त चोरी के वक्त प्रबंधन ने तुरंत एक्शन लेते हुए संबंधित थाने में एफआईआर तक कर डाली थी साथ ही विभागीय जांच भी। 30 दिनों के भीतर पूर्ण कर सोसायटी श्रमिक को ब्लैक लिस्ट कर डाला था। अब सवाल यहां यह है कि आखिर जब एक सोसायटी श्रमिक जब चोरी करें तो वह गुनाह और एक प्रबंधक जो हर महीने में वेतन के ऐवज में मोटी रकम पाता हो उसका सिर्फ ट्रांसफर। कंपनी का यह रवैया किसी के भी समझ से परे हैं।
यूनियनों की चुप्पी
कैंटिन के खाने में एक मक्खी गिर जाने पर पर दिल्ली कॉपोरेट तक हल्ला मचाने वाले यूनियन के धुरंधर नेताओं ने भी इस मामले को चुप्पी साध ली है। जब कंपनी के हितों की बात करने के लिए समय समय पर यह नेता दिल्ली तक आवाज उठाते हैं। स्थनीय नेताओं को ज्ञापन सौंप कंपनी के प्रति अपनी वफादारी साबित करते हैं तो आखिर ऐसे कथित प्रबंधक के कारनामों पर अपनी आवाज बुलंद करने के बजाए नेताओं की घिग्गी बंध गई है। चोरी को लेकर कोई भी यूनियन नेता बात करने को तैयार नहीं है जबकि कापर चोरी की घटना के समय कुछ यूनियन के नेता भी मौजूद थे।