कोई कार्रवाई नहीं…. MUDA भूमि घोटाले में कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया को राहत, जानें

बेंगलुरु

कर्नाटक के कथित MUDA भूमि घोटाले में कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया को हाईकोर्ट से राहत मिली है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने ट्रायल कोट को निर्देश दिया है कि मुख्यमंत्री के खिलाफ इस मामले में तक कोई कार्रवाई नहीं करे, जब तक कि इस मामले में ऊपरी अदालत में दलीलें पूरी न हो जाएं। कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने कथित MUDA भूमि घोटाला मामले में कांग्रेस नेता के खिलाफ अभियोजन को मंजूरी दी थी। इसके बाद कर्नाटक की राजनीति गरमा गई थी। बीजेपी ने कर्नाटक सीएम से इस्तीफा देने की मांग की थी। तो वहीं इस मुद्दे पर सीएम सिद्धारमैया ने हाईकोर्ट का रुख किया था। सिद्धारमैया ने कहा था कि वह 40 साल सार्वजनिक जीवन में हैं। उन्होंने कभी कोई गलत काम नहीं किया है।

29 अगस्त के लिए मिली राहत
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए। हाईकोर्ट ने इस मामले मुश्किलों में घिरे मुख्यमंत्री को अंतरिम राहत दी है। हाईकोर्ट का यह निर्देश 29 अगस्त पर प्रभावी रहेगा। इसी दिन फिर कोई में सुनवाई होगी। सिद्धारमैया ने राज्यपाल द्वारा मुकदमा चलाने की मंजूरी देने के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने इस आधार पर अंतरिम राहत मांगी थी कि राज्यपाल की कार्रवाई अवैध और कानून के अधिकार के बिना थी। सिद्धारमैया ने कहा था कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से उनकी प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति होने का गंभीर और आसन्न खतरा पैदा हो सकता है। सीएम ने कहा था कि इसके साथ ही शासन में बाधा उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने राज्य में राजनीतिक अस्थिरता पैदा होने की आशंका भी व्यक्त की थी।

सिंघवी बने संकटमोचक
सीएम की तरफ वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मामले को कोर्ट के सामने रखा। सिंघवी ने न्यायालय से कोई जल्दबाजी में कार्रवाई न करने का निर्देश देने का आग्रह किया था और दावा किया था कि राज्यपाल द्वारा दी गई स्वीकृति कर्नाटक की विधिवत निर्वाचित सरकार को अस्थिर करने के लिए एक ठोस प्रयास का हिस्सा है। कोर्ट ने कहा कि चूंकि मामले की सुनवाई इस अदालत द्वारा की जा रही है और दलीलें पूरी की जानी हैं। इसलिए अगली सुनवाई की तारीख तक संबंधित न्यायालय (ट्रायल कोर्ट) को अपनी कार्यवाही स्थगित कर देनी चाहिए। अपने आदेश में हाईकोर्ट ने उल्लेख किया कि याचिकाकर्ता (अर्थात मुख्यमंत्री सिद्धारमैया) द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों में कई आदेश बिंदुओं का उल्लेख किया गया है। ताकि प्रथम दृष्टया यह प्रदर्शित हो कि (अभियोजन की स्वीकृति देने वाला) आदेश राज्यपाल द्वारा विवेक का प्रयोग न करने वाला है। राज्यपाल ने 26 जुलाई को मुकदमा चलाने की स्वीकृति दी थी।

मैं बेदाग हूं: सिद्धारमैया
हाईकोर्ट का फैसला आने से कुछ घंटे पहले मुख्यमंत्री ने कहा था कि उन्होंने चार दशकों के राजनीतिक करियर में कोई भी अवैध काम नहीं किया है, और विश्वास जताया कि न्यायपालिका उनकी मदद करेगी। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने घोषणा की कि वे अपने करियर के दौरान मुख्यमंत्री और मंत्री रहे हैं और उन्होंने कहा कि कभी भी निजी लाभ के लिए सत्ता का दुरुपयोग नहीं किया। उन्होंने भाजपा के विरोध को भी खारिज करते हुए कहा कि राजनीति में यह स्वाभाविक है कि पार्टियां विरोध करेंगी। इसलिए उन्हें विरोध करने दें, मैं बेदाग हूँ।

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