इंदौर
फैमिली कोर्ट ने एक महिला की तरफ से उसके पति के खिलाफ दायर किए गए भरण-पोषण के मामले को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि महिला ने अपने पति पर झूठे आरोप लगाकर दबाव बनाने की कोशिश की थी। मामला इंदौर में रहने वाली एक महिला और अजमेर के एक ट्रैवल बिजनेसमैन के बीच का है। महिला अपने पति को माता-पिता से अलग करना चाहती थी।
महिला ने पति पर लगाया क्रूरता का आरोप
महिला ने अपने पति पर क्रूरता का आरोप लगाते हुए खुद के और अपनी साढ़े तीन साल की बेटी के लिए भरण-पोषण की मांग की थी। हालांकि, पति के वकील जेएस ठाकुर ने कोर्ट के सामने दलील दी कि महिला अपने पति पर उनके बुजुर्ग माता-पिता से अलग रहने का दबाव बना रही थी। इतना ही नहीं, महिला ने अपने ससुर पर छेड़छाड़ के गंभीर आरोप भी लगाए थे, जो कोर्ट में साबित नहीं हो सके।
महिला ने जानबूझकर छिपाई अपनी कमाई
कोर्ट ने पाया कि महिला ने जानबूझकर अपनी आय और बैंक खातों की जानकारी छिपाई थी। इससे यह साफ जाहिर होता है कि महिला किसी न किसी तरह से कमाई कर रही है। इन सबूतों और दलीलों के आधार पर, कोर्ट ने फैसला सुनाया कि महिला अपने पति पर झूठे आरोप लगाकर दबाव बनाने की कोशिश कर रही थी। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के व्यवहार को पति के साथ क्रूरता माना जाएगा।
कोर्ट ने भरण पोषण की याचिका खारिज की
इसलिए, कोर्ट ने महिला को भरण-पोषण की हकदार नहीं माना। कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला ने अपनी आय और बैंक खातों की जानकारी छिपाई है, जिससे यह लगता है कि वह काम कर रही है।
बैंक खातों का जिक्र शपथ पत्र में नहीं
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पत्नी ने अपनी आय और बैंक खाते की जानकारी जान-बूझकर छिपाई है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि पत्नी कोई न कोई काम कर रही है, इसलिए उसके द्वारा बैंक खाते के लेनदेन तथा खातों का उल्लेख अपने शपथ पत्र में नहीं किया है। इस वजह से, कोर्ट ने महिला की तरफ से उसकी बेटी के लिए मांगे गए भरण-पोषण को भी खारिज कर दिया।