ठाणे:
महाराष्ट्र के बदलापुर कांड को लेकर पूरे राज्य में गुस्से का माहौल है। ऐसी खबर है कि बदलापुर में नाबालिग बच्चियों के साथ हुए यौन शोषण मामले में राज्य की ओर से नियुक्त दो सदस्यीय समिति ने शिंदे सरकार को प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंप दी है। इस शुरुआती रिपोर्ट में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। दरअसल बदलापुर दरिंदगी मामले में एकनाथ शिंदे सरकार ने एक कमेटी बनाकर जांच करने को कहा था कि आखिर इस मामले में कहां गलतियां हुईं? इसके मुताबिक अब जानकारी सामने आ रही है कि कमेटी ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी है।
आखिर क्या है रिपोर्ट में?
बताया जा रहा है कि पीड़ित नाबालिग बच्ची के प्राइवेट पार्ट में करीब 1 इंच जख्मी हो गया है। आशंका है कि पिछले पंद्रह दिनों में कई बार नाबालिग लड़कियों के साथ दरिंदगी की गई थी। इस मामले का आरोपी अक्षय शिंदे 1 अगस्त को एक कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी के रूप में स्कूल में शामिल हुआ था। भर्ती के दौरान उसकी जांच नहीं की गई थी। स्कूल परिसर में हर जगह बिना किसी पहचान पत्र के उसकी पहुंच आसान थी। यह पता लगाने की जरूरत है कि क्या उसे किसी आउटसोर्स एजेंसी की ओर से किसी की सिफारिश पर काम पर रखा गया था।
स्कूल प्रशासन को सवालों का एक सेट भेजा
मामले को संभालने में विफलता के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए बाल अधिकार आयोग की ओर से स्कूल प्रशासन को सवालों का एक सेट भेजा गया है और अगले सात दिनों के भीतर जवाब मांगा जाएगा। समिति ने सवाल उठाया था कि इस मामले में स्कूल प्रशासन पर पॉक्सो एक्ट क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए। इस बीच पॉक्सो के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।
स्कूल प्रशासन पर उठाए सवाल
देखा गया कि करीब 48 घंटे तक स्कूल प्रशासन शिकायतों पर चुप्पी साधे रहा है। शिकायत के बाद भी स्कूल प्रशासन ने अभिभावकों से मुलाकात नहीं की। पीड़िता के इलाज में अस्पताल को 12 घंटे लग गए। शौचालय एक एकांत स्थान पर और स्टाफ रूम से दूर है। सुरक्षा के लिए समुचित सीसीटीवी नहीं लगाए गए हैं। बदलापुर के किशोर यौन उत्पीड़न मामले के जांच अधिकारी ने माता-पिता से पूछा था कि क्या लड़कियां दो घंटे साइकिल चलाती हैं? इससे पता चलता है कि अधिकारी के पास ऐसे संवेदनशील मामलों को संभालने के लिए कोई संवेदनशीलता और ज्ञान नहीं था।