नई दिल्ली:
देश में इस बार मॉनसून अपनी सक्रियता बनाए हुए है। देश की राजधानी दिल्ली से लेकर उत्तर भारत के कई राज्यों में अभी भी रुक-रुक कर बरसात जारी है। इस बार के मॉनसून ने सबसे ज्यादा गुजरात में चौंकाया है। गुजरात से पहले राजस्थान में भी इस बार कई शहरों में भारी बारिश देखी गई। हालांकि राजस्थान में तो अब बारिश कहीं-कहीं थम गई है, लेकिन कई जिलों में यह अब भी जारी है। गुजरात की बात करें तो यहां जनजीवन अस्त-व्यस्त होने के अलावा कई जिंदगियां भी चली गईं। हालत इतनी बिगड़ गई कि सेना को स्थिति संभालने के लिए बुलाना पड़ा, फिर भी कोई राहत नहीं मिली। आम जन के साथ जानवरों का भी बुरा हाल है। पानी के बहाव में वह घरों के अंदर घुस रहे हैं। कई सड़कों का संपर्क टूट गया तो हर ओर पानी ही पानी ही है। राजस्थान और गुजरात में इस बार अत्यधिक बारिश के पीछे मॉनसून के रूट बदलने और हिंद महासागर का जरूरत से अधिक गर्म होना कारण माना जा रहा है। आइए पूरी बात समझते हैं।
गुजरात में क्या है ताजा हाल?
गुजरात में स्थिति भयावह है। गुजरातवालों ने शायद ही इतनी बरसात अगस्त महीने में देखी होगी। आईएमडी ने 29 अगस्त से 4 सितंबर तक गुजरात के कई इलाकों में अत्यधिक भारी वर्षा की संभावना जताई है। आईएमडी ने इन क्षेत्रों में मध्यम स्तर के फ्लैश बाढ़(Flash Flood) के जोखिम के साथ-साथ सड़कों पर भरे घुटने से ऊपर पानी, निचले इलाकों में जल जमाव और विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में अंडरपास बंद होने की संभावना के बारे में चिंता व्यक्त की है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गुजरात में बारिश से भारी तबाही हुई है, जिससे 35 लोगों की मौत हो गई है और 18,000 से अधिक लोगों को दूसरी जगह ले जाया गया है, जिससे सामान्य जीवन बाधित हुआ है। इसके अलावा, विश्वामित्र नदी के उफनने के बाद वडोदरा लगातार दूसरे दिन बाढ़ जैसी स्थिति में है।
देवभूमि द्वारका जिले के भाणवड में सुबह छह बजे समाप्त हुई 24 घंटे की अवधि में 295 मिमी बारिश दर्ज हुई, जबकि कच्छ के अब्दासा में 276 मिमी और कल्याणपुर में 263 मिमी बारिश हुई। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस अवधि के दौरान गुजरात के 20 तालुका में 100 मिमी से अधिक वर्षा हुई। कच्छ के मांडवी तालुका में सुबह 10 बजे तक चार घंटों में 101 मिमी बारिश हुई।
गुजरात में इतनी बारिश क्यों?
अगस्त महीने में इतनी बारिश के पीछे मौसम विभाग और स्काईमेट ने कारण गिनाए हैं। पहले मॉनसून की चाल समझिए। मॉनसून पहले बंगाल की खाड़ी में बनने वाले लो प्रेशर के बाद उत्तर पश्चिम की ओर बढ़ता है। मॉनसून का रूट हर साल बिहार, यूपी होते हुए पंजाब और हरियाणा तक होता है। यही वजह है कि इन राज्यों में बारिश ज्यादा देखी जाती है। मौसन विभाग ने कहा कि इस बार मॉनसून ने अपना रूट बदल लिया है। इस बार यह रूट मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान के रास्ते पश्चिम दिशा की ओर बढ़ गया है।
स्काईमेट ने क्या बताया?
मौसम की जानकारी देने वाले स्काईमेट ने भी इसके कारण बताए हैं। स्काईमेट ने बताया कि गुजरात और बाकी इलाकों में भारी बारिश की मुख्य वजह जलवायु परिवर्तन भी है। बारिश का पैटर्न भी इसी कारण बदल रहा है। अब फिर समझिए। बंगाल की खाड़ी पर इस बार 4 निम्न दबाव वाले क्षेत्र बने। इन सभी ने उत्तर की ओर रूट पकड़ने की बजाय पश्चिम की ओर रूख कर दिया। यही वजह रही कि गुजरात के साथ महाराष्ट्र में भी भारी बारिश हुई।
हिंद महासागर का गर्म रहना भी कारण
प्रसिद्ध पर्यावरणविद डॉक्टर सीमा जावेद ने हिंद महासागर के जरूरत से ज्यादा गर्म रहने को भी इसका कारण बताया है। उन्होंने आगे बताया कि ग्लोबल वार्मिंग ही वजह रही कि केरल और अब गुजरात में भारी बारिश देखने को मिल रही है। डॉ. जावेद का कहना है कि बारिश के इस महीने में ज्यादा निम्न दबाव के सिस्टम देखने को मिलते हैं। इस कारण कई राज्यों में सामान्य से ज्यादा बारिश होती है।
राजस्थान में बारिश थमी पर…
मॉनसून की चाल बदलने का असर राजस्थान में भी देखने को मिला। हालांकि अब कई जगहों में बारिश की रफ्तार थमी है। पूर्वी राजस्थान की बात करें तो अगले दो दिन हल्की बारिश हो सकती है, लेकिन 30 अगस्त से बारिश होना कम हो जाएगी। ऐसा अनुमान है कि 2 सितंबर से कोटा, उदयपुर और भरतपुर में फिर से ते बारिश शुरू हो सकती है।अगले 48 घंटे में भरतपुर, जयपुर और उदयपुर में हल्की बारिश हो सकती है। 30 अगस्त से 1 सितंबर तक बारिश बहुत कम जगहों पर होगी।