कीचड़ में डूबा विकास : खटिया पर ले जा रहे मरीज, 1.5 कि.मी कीचड़ में धंसते हुए लेकर पहुंचे अस्पताल

पन्ना

मध्य प्रदेश के पन्ना जिला मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर दूर एक गांव में विकास की कमी ने एक बार फिर लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बीमार वृद्धा को अस्पताल ले जाने के लिए ग्रामीणों को कीचड़ भरे, पगडंडी वाले मार्ग पर खटिया पर लेटाकर 1.5 किलोमीटर पैदल सफर करना पड़ा। सरकार के विकास के दावों के विपरीत इस गांव के लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए आज भी तरस रहे हैं। घटना के फोटो और वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिससे प्रशासन बचाव की मुद्रा में है।

ग्राम पंचायत कुडार के गांव कोतवालीपुर और मजरा कर्रीपुर में लगभग 200 लोग रहते हैं, लेकिन यहां तक आजादी के 78 साल बाद भी सड़क नहीं पहुंच सकी है। 27 अगस्त को गांव के बुजुर्ग गोरेलाल वंशकार की 96 वर्षीय मां कस्तूरी बाई के पैरों में गलन थी। वे असहनीय दर्द से तड़प रही थीं। उन्हें अस्पताल ले जाने का कोई साधन नहीं था। घर वालों ने एंबुलेंस को बुलाने का भी प्रयास किया, लेकिन जब उस गांव में पैदल पहुंच पाना दूभर है तो वाहन से पहुंचना कैसे संभव होगा। आखिरकार परेशान आकर गांव के लोग बीमार वृद्धा को चारपाई पर लिटाकर, कीचड़ और पगडंडी वाले मार्ग पर पैदल ही चल दिए। डेढ़ किलोमीटर का कठिन सफर तय करने के बाद वे पंचायत भवन पहुंचे, जहां से उन्हें ऑटो द्वारा जिला अस्पताल ले जाया गया।

सड़क की मांग, अनसुनी पुकार
कोतवालीपुर की मीरा बाई बंशकार कहती हैं, गांव तक कोई सड़क नहीं है। हमें खेतों की मेड़ से ही आना-जाना पड़ता है। बारिश के दिनों में फसलों की सुरक्षा के लिए लगाए गए बाड़े और कीचड़ से यह रास्ता और भी दुर्गम हो जाता है। बीमार व्यक्ति या गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाने के लिए खाट का सहारा लेना पड़ता है। यहां एम्बुलेंस, जननी एक्सप्रेस या डायल-100 जैसे आपातकालीन वाहन कभी नहीं पहुंच पाते। कई बार बीमार होने पर समय पर अस्पताल न पहुंच पाने से लोगों की जान तक चली गई है।

स्कूल के बच्चों के लिए भी मुश्किलें
राम सेवक बंशकार बताते हैं, गांव में केवल 5वीं तक का स्कूल है। आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को कुड़ार के स्कूल तक जाना पड़ता है। बरसात के चार महीनों में ज्यादातर बच्चे स्कूल नहीं जा पाते। यहां के प्राइमरी स्कूल में शिक्षक भी मुश्किल से ही पहुंच पाते हैं। हम कई बार सरपंच-सचिव से लेकर जिला पंचायत सीईओ, कलेक्टर, विधायक और सांसद तक गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अब तक हमारी समस्याओं का कोई समाधान नहीं हुआ है।

प्रशासन का पक्ष
ग्राम पंचायत कुडार के सचिव ठाकुर प्रसाद यादव ने बताया कि इन दो बस्तियों तक पहुंच मार्ग बनवाने का कई बार प्रयास किया गया है, लेकिन निजी भूमि होने के कारण सड़क निर्माण नहीं हो सका। इस बारे में पहले भी वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी दी गई है। वहीं, ग्रामीणों की मांग है कि प्रशासन हस्तक्षेप कर सड़क निर्माण के लिए जमीन की व्यवस्था करे, ताकि यहां के लोगों की मुश्किलें कम हो सकें।

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