30 अगस्त, 3 साल, 3 मेडल, 3 रिकॉर्ड; अवनी लेखरा बनीं ‘शूटिंग की शहजादी’

अवनी लेखरा ने शुक्रवार 30 अगस्त 2024 को पेरिस 2024 पैरालंपिक में महिला 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग स्टैंडिंग SH1 खिताब का सफलतापूर्वक बचाव किया। इससे वह पैरालंपिक खेलों के इतिहास में दो स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं। भारतीय पैरा शूटर ने फाइनल में 249.7 का स्कोर बनाया, जो नया पैरालंपिक रिकॉर्ड बनाया।

अवनी लेखरा ने 249.6 का अपना पिछला रिकॉर्ड भी तोड़ दिया, जो उन्होंने ठीक तीन साल (30 अगस्त 2021) पहले टोक्यो 2020 (कोरोना के कारण ये खेल 2020 की जगह 2021 में खेले गए थे) में बनाया था। ये आंकड़े देखते हुए लगता है कि अवनी लेखरा के करियर में 3 और 30 का काफी महत्व है। पैरालंपिक में अवनी का यह तीसरा पदक है।

अवनी लेखरा ने टोक्यो पैरालंपिक में एक गोल्ड और एक कांस्य पदक जीता था। अवनी ने टोक्यो में महिला 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 कैटेगरी में गोल्ड और महिला 50 मीटर राइफल 3 पोजिशंस स्टैंडिंग SH1 कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। अवनी भाला फेंक खिलाड़ी देवेंद्र झाझरिया के बाद खेलों में दो स्वर्ण पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय हैं। पैरालंपिक खेलों में कुल मिलाकर यह भारत का 10वां स्वर्ण पदक है।

अवनी लेखरा के 30 अगस्त को 3 बड़े रिकॉर्ड
30 अगस्त 2024: पैरालंपिक में 2 स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
30 अगस्त 2024: पैरालंपिक में 3 पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं।
30 अगस्त 2024: पेरिस पैरालंपिक खेलों में रिकॉर्ड अंकों के साथ गोल्ड मेडल जीता।
30 अगस्त 2021: टोक्यो पैरालंपिक खेलों में रिकॉर्ड अंकों के साथ गोल्ड मेडल जीता था।

पैरालंपिक में क्या होता है SH1 वर्ग
पैरालंपिक में SH1 वर्ग में वे खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं जिनके बाजुओं, कमर के निचले हिस्से, पैरों में विकृति होती है या उनकी बाजू नहीं होती हैं। अवनी लेखरा पेरिस पैरालंपिक 2024 में अभी महिला 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन SH1 और मिक्स्ड 10 मीटर एयर राइफल प्रोन SH1 स्पर्धा में भी हिस्सा लेंगी।

अवनी की नजर और अधिक पदक जीतने पर
अवनी लेखरा ने ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीत हासिल करने के बाद कहा, ‘यह बहुत करीबी फाइनल था। पहले, दूसरे और तीसरे स्थान के लिए बहुत कम अंतर था, लेकिन मैं नतीजों के बजाय अपने विचारों पर ध्यान लगा रही थी। मुझे खुशी है कि इस बार भी एरीना में बजने वाला राष्ट्रगान भारत का था। मुझे अभी दो और स्पर्धाओं में हिस्सा लेना है, इसलिए मैं देश के लिए और पदक जीतने पर ध्यान लगाये हूं।’

अवनी के साथ कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय निशानेबाज मोना अग्रवाल ने कहा, ‘काफी मुश्किल था, लेकिन मैं सफल रही। इसलिये शुक्रिया। अवनी के साथ रहने के कारण निश्चित रूप से मदद मिली। वह एक चैंपियन हैं। वह मुझे प्रेरित करती हैं।’ 37 साल की मोना अग्रवाल ने निशानेबाजी से पहले गोला फेंक, पावरलिफ्टिंग और व्हीलचेयर वॉलीबॉल समेत कई खेलों में हाथ आजमाया था।

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