अगर कोई दोषी भी है तो घर नहीं गिराया जा सकता है…’, बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

नई दिल्ली,

सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर मामलों की सुनवाई आज शुरू हो गई. जस्टिस गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें पेश कीं. मेहता ने कहा कि जो कार्रवाई की गई है, वह म्युनिसिपल कानून के अनुसार ही की गई है. उन्होंने बताया कि अवैध कब्जे के मामलों में म्युनिसिपल संस्थाओं द्वारा नोटिस देने के बाद ही कार्रवाई की गई है. जस्टिस विश्वनाथन ने सरकार से विस्तृत जवाब मांगा है. अदालत ने नोटिस, कार्रवाई और अन्य आरोपों पर सरकार को उत्तर देने के निर्देश दिए हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर उठाए गंभीर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ आरोपी होने के आधार पर किसी के घर को गिराना उचित नहीं है. अदालत ने शासन और प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति दोषी भी है, तो भी उसके घर को गिराया नहीं जा सकता. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस बात को स्वीकार किया और कहा कि अपराध में दोषी साबित होने पर भी घर नहीं गिराया जा सकता. उन्होंने स्पष्ट किया कि जिनके खिलाफ कार्रवाई हुई है, वे अवैध कब्जे या निर्माण के कारण निशाने पर हैं, न कि अपराध के आरोप की वजह से.

अनधिकृत निर्माण को संरक्षण नहीं देंगे
जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने ध्वस्तीकरण कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिकाओं पर कहा कि भले ही कोई व्यक्ति दोषी हो, फिर भी कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसा नहीं किया जा सकता। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि वह किसी भी अनधिकृत निर्माण को संरक्षण नहीं देगा। पीठ ने कहा कि हम अखिल भारतीय आधार पर कुछ दिशा-निर्देश निर्धारित करने का प्रस्ताव करते हैं, ताकि उठाए गए मुद्दों के संबंध में चिंताओं का समाधान किया जा सके।

17 सितंबर को होगी अगली सुनवाई
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पुष्टि की कि क्रिमिनल एसोसिएशन के लिए संपत्तियों को ध्वस्त नहीं किया जा सकता है। सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि किसी व्यक्ति की कोई भी संपत्ति केवल इसलिए ध्वस्त नहीं की जाती कि वह किसी आपराधिक मामले में शामिल है या दोषी ठहराया गया है। उन्होंने कहा कि यह केवल नगरपालिका कानूनों के तहत निर्धारित नियमों और प्रक्रिया का सख्ती से पालन करके किया जाता है।

जमीयत उलेमा ए हिंद ने दाखिल की याचिका
जमीयत उलेमा ए हिन्द ने याचिका दाखिल कर सरकारों द्वारा आरोपियों के घरों पर मनमाने ढंग से बुलडोजर चलाने पर रोक लगाने की मांग की है. याचिका में यूपी, मध्यप्रदेश और राजस्थान में हाल में हुई बुलडोजर कार्रवाइयों का उल्लेख करते हुए अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाए जाने का आरोप लगाया गया है. याचिका में ‘बुलडोजर जस्टिस’ की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से शीघ्र सुनवाई की अपील की गई थी.

याचिका पर की गई थी जल्द सुनवाई की हुई थी मांग
वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने इस याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की थी. याचिका जहांगीरपुरी मामले में वकील फरूख रशीद द्वारा दाखिल की गई थी. याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकारें हाशिए पर मौजूद लोगों, खासकर अल्पसंख्यकों के खिलाफ दमन चक्र चलाकर उनके घरों और संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने को बढ़ावा दे रही हैं, जिससे पीड़ितों को कानूनी उपाय करने का मौका नहीं मिलता.

कोर्ट ने मांगे सुझाव
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह किसी भी अवैध संरचना को सुरक्षा नहीं प्रदान करेगा जो सार्वजनिक सड़कों को अवरुद्ध कर रही हो. कोर्ट ने संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे हैं ताकि वह पूरे देश में संपत्तियों के ध्वस्तीकरण के संबंध में उचित दिशा-निर्देश जारी कर सके.

हाल ही में हुए कई बुलडोजर एक्शन
एमेनेस्टी इंटरनेशनल की फरवरी 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2022 से जून 2023 के बीच दिल्ली, असम, गुजरात, मध्यप्रदेश और यूपी में सांप्रदायिक हिंसा के बाद 128 संपत्तियों को बुलडोजर से ढहा दिया गया. मध्यप्रदेश में एक आरोपी के पिता की संपत्ति पर बुलडोजर चलवा दिया गया, और मुरादाबाद तथा बरेली में भी बुलडोजर से संपत्तियां ढहाई गईं. हाल ही में, राजस्थान के उदयपुर जिले में राशिद खान का घर भी बुलडोजर से गिरा दिया गया, जिसमें उनके 15 वर्षीय बेटे पर स्कूल में अपने सहपाठी को चाकू से गोदने का आरोप था.

राजस्थान, एमपी से दो याचिकाएं
राजस्थान और मध्य प्रदेश के दो पीड़ित मकान मालिकों ने अपने-अपने राज्यों में उनके घरों को गिराए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। दोनों ने इस मामले में तत्काल सुनवाई की मांग की। राजस्थान के मामले में, किराएदार के बेटे द्वारा कथित अपराध किए जाने के कारण एक घर को गिरा दिया गया। वहीं, मध्य प्रदेश में एक संयुक्त परिवार के पुश्तैनी घर को गिराने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया।

क्या है बुलडोजर जस्टिस?
जनता के बीच आजकल ‘बुलडोजर जस्टिस’ का शब्द खूब प्रचलित हो रहा है। इसका मतलब एक प्रकार का त्वरित न्याय तंत्र है जिसमें किसी अपराध के आरोपी व्यक्तियों से संबंधित घरों, दुकानों या किसी भी परिसर को ध्वस्त किया जाता है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर के लिए तय कर दी।

About bheldn

Check Also

‘तुम्हारी बेटी सेक्स रैकेट में पकड़ी…’, ठगों की फोन कॉल सुनकर हार्ट अटैक से महिला की मौत

आगरा , उत्तर प्रदेश के आगरा से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया …