दलबदल करने वाले विधायकों को नहीं मिलेगी पेंशन, हिमाचल विधानसभा ने पारित किया नया विधेयक

शिमला

हिमाचल प्रदेश में अब पार्टी बदलने वाले विधायकों को पेंशन नहीं मिलेगी। कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने एक नया कानून पास किया है। इसके मुताबिक जो विधायक दल-बदल करेंगे, उन्हें पेंशन नहीं मिलेगी। हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने बुधवार को यह बिल पास किया। यह बिल दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित विधायकों पर लागू होता है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ‘हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) संशोधन विधेयक 2024’ पेश किया।

विधानसभा में पास बिल में क्या?
बिल में कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति को संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्य घोषित कर दिया जाता है, तो वह इस अधिनियम के तहत पेंशन का हकदार नहीं होगा। 10वीं अनुसूची दल-बदल विरोधी कानून से संबंधित है।

पहले दल-बदल करने वालों को भी मिलती थी पेंशन
इस नए कानून से पहले दल-बदल करने वाले विधायकों को भी पेंशन मिलती थी। यह कानून पार्टी बदलने वालों पर रोक लगाने और राजनीतिक नैतिकता को बढ़ावा देने के लिए लाया गया है। यह कदम हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।

कानून का विरोध कर रहे विपक्षी दल
विपक्षी दल इस कानून का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह कानून विधायकों के अधिकारों का हनन करता है। हालांकि, सत्ताधारी दल का कहना है कि यह कानून राजनीति में भ्रष्टाचार को कम करने में मदद करेगा। उनका मानना है कि इससे विधायक जनता के प्रति जवाबदेह बनेंगे।

कांग्रेस ने क्यों उठाया ये कदम?
इससे पहले छह कांग्रेस विधायक- सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, राजिंदर राणा, इंदर दत्त लखनपाल, चेतन्य शर्मा और देवेंद्र कुमार को फरवरी में दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित कर दिया गया था। ये विधायक 2024-25 के बजट और कटौती प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सदन से अनुपस्थित रहे थे। उन्होंने पार्टी के निर्देशों का पालन नहीं किया था। सुधीर शर्मा और इंदर दत्त लखनपाल ने बाद में उपचुनाव जीतकर सदन में वापसी की। हालांकि बाकी चार विधायक फिर से चुनाव नहीं जीत पाए। इन छहों कांग्रेस विधायकों ने फरवरी में राज्यसभा चुनाव में BJP उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में मतदान किया था।

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