कोलकाता
सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर रेप और हत्याकांड को लेकर नाराजगी जाहिर की। घटना में एक के बाद एक ऐसे खुलासे हो रहे हैं जिससे हर कोई हैरान है। अब इस केस में पोस्टमॉर्टम के लिए जरूरी एक अहम दस्तावेज ही गायब है। सुप्रीम कोर्ट को जब वह कागज नहीं मिला तो बेंच ने चिंता जताई। सुप्रीम कोर्ट के सवाल उठाने के बाद अब सीबीआई से इसकी जांच करने को कहा है।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ‘चालान’ के इस्तेमाल का कोई उल्लेख नहीं है। उन्होंने सीबीआई और पश्चिम बंगाल सरकार से जवाब मांगा।
क्या बोले तुषार मेहता
पीठ ने कहा, ‘जब शव को पोस्टमॉर्टम के लिए सौंपा गया था तो इसका चालान कहां है?’ पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी हैं। सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि चालान उनके रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है।
कपिल सिब्बल की दलील
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि उन्हें तत्काल दस्तावेज नहीं मिल पाया है और वह इस बारे में बाद में अदालत को बताएंगे। न्यायालय ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज होने में कोलकाता पुलिस की ओर से की गई कम से कम 14 घंटे की देरी पर भी सवाल उठाया।
सोशल मीडिया से डॉक्टर की तस्वीर हटाने का निर्देश
न्यायालय ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को जांच पर 17 सितंबर तक नई रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर अस्पताल की उस महिला चिकित्सक की तस्वीरें सभी सोशल मीडिया मंचों से तत्काल हटाने का निर्देश दिया जिसकी दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी।
सील बंद लिफाफे में दिए दस्तावेज
राज्य में चिकित्सा संस्थानों की सुरक्षा के मुद्दे पर पीठ ने कहा सि पश्चिम बंगाल में सभी जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक सरकारी मेडिकल कॉलेजों की सुरक्षा के लिए हालात का जायजा लेंगे। इससे पहले पीठ ने सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीलबंद लिफाफे में जमा की गई रिपोर्ट का अध्ययन किया।
सीबीआई को निर्देश पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?
पीठ ने कहा, ‘सीबीआई ने वस्तु-स्थिति रिपोर्ट जमा की है जिससे लगता है कि जांच प्रगति पर है। हम सीबीआई को नई वस्तु-स्थिति रिपोर्ट जमा करने का निर्देश देते हैं। हम सीबीआई को उसकी जांच पर ‘गाइड’ नहीं करना चाहते।’ मेहता ने पीठ से कहा कि सीबीआई ने फरेंसिक नमूने आगे जांच के लिए एम्स भेजने का फैसला किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा को लेकर भी निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के एक वरिष्ठ अधिकारी को कहा है कि आरजी कर अस्पताल की सुरक्षा में लगाई गईं सीआईएसएफ की तीनों कंपनियों को आवास की सुविधा प्रदान की जाए।
न्यायालय ने सीआईएसएफ कर्मियों को जरूरी सभी सुरक्षा संसाधन भी आज ही मुहैया कराने का निर्देश दिया। पीठ इस मामले में अब 17 सितंबर को अगली सुनवाई करेगी। शुरुआत में पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की घटना के खिलाफ चिकित्सकों की हड़ताल के कारण 23 लोगों की मौत हो चुकी है।
22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को महिला चिकित्सक की अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने में देरी को लेकर कोलकाता पुलिस से नाराजगी जताई थी। आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की ट्रेनी पीजी चिकित्सक के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। न्यायालय ने इसे ‘बेहद परेशान करने वाली’ घटना बताया था। अदालत ने चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों की सुरक्षा के लिहाज से प्रोटोकॉल तैयार करने के लिए 10 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्य बल (एनटीएफ) का गठन किया था।
सीबीआई कर रही जांच
न्यायालय ने घटना को भयावह करार देते हुए प्राथमिकी दर्ज करने में देरी पर राज्य सरकार से भी अप्रसन्नता जाहिर की थी। महिला चिकित्सक का शव 9 अगस्त को अस्पातल के सेमिनार हॉल में मिला था। कोलकाता पुलिस ने अगले दिन इस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया था। कलकत्ता हाई कोर्ट ने 13 अगस्त को जांच कोलकाता पुलिस से सीबीआई को सौंपे जाने का निर्देश दिया था। सीबीआई ने अगले दिन यानी 14 अगस्त को जांच संभाल ली थी।