टेलीकॉम कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, AGR बकाया मामले में क्यूरेटिव पिटीशन की खारिज

नई दिल्ली,

एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू यानि AGR मामले में वोडाफोन टेलीकॉम कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट सेबड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने बकाया को लेकर टेलीकॉम और सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों की क्यूरेटिव पिटीशन को खारिज कर दिया है,जिसमें एजीआर कैलकुलेशन दोबारा करने की मांग की गई थी.

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने समायोजित सकल राजस्व की पुनर्गणना की मांग करने की अर्जी भी खारिज कर दी. वोडाफोन इंडिया, भारती एयरटेल और कई अन्य दूरसंचार कंपनियों ने मामले में 2019 के शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी.

टेलीकॉम कंपनियों ने की थी ये मांग
अपनी अर्जियों में टेलीकॉम कंपनियों ने कहा था कि दूरसंचार विभाग द्वारा एजीआर बकाया की गणना में गंभीर त्रुटियां हैं और साथ ही शीर्ष अदालत ने उन पर मनमाना जुर्माना भी लगाया है. टेलीकॉम कंपनियों की खुली अदालत में क्यूरेटिव अर्जियों पर सुनवाई किए जाने की मांग भी सुप्रीम ने खारिज कर दी है.

2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि AGR की गणना करते समय नॉन-कोर रेवेन्यू को शामिल किया जाना चाहिए, जिससे AGR की परिभाषा पर मोबाइल ऑपरेटरों और सरकार के बीच करीब डेढ़ दशक तक चली लंबी कानूनी लड़ाई खत्म हुई थी.

वोडाफोन इंडिया, भारती एयरटेल और अन्य दूरसंचार कंपनियों ने अदालत के अक्टूबर 2019 के फैसले को चुनौती देते हुए यह क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी. 2019 में, शीर्ष अदालत ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसमें दूरसंचार कंपनियों को 180 दिनों के भीतर 92,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया गया. इससे उद्योग को भारी नुकसान हुआ, जिसके तुरंत बाद वोडाफोन इंडिया और भारती एयरटेल ने रिकॉर्ड घाटा दर्ज किया.

 

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