नई दिल्ली,
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और बीजेपी के अन्य नेताओं को चुनावी बॉन्ड से संबंधित जबरन वसूली मामले में बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने मामले की जांच पर अंतरिम रोक लगा दी है. अदालत ने जबरन वसूली से संबंधित आईपीसी की धारा 384 के प्रावधानों के तहत कहा कि मामले में कोई सीधी धमकी और प्रभावित शख्स की शिकायत नहीं है.
इस मामले में, अदालत ने पाया कि शिकायतकर्ता के खिलाफ कोई ऐसी धमकी नहीं दी गई थी और मजिस्ट्रेट के आदेश में किसी जबरन वसूली की बात नहीं कही गई थी. अदालत ने अगली सुनवाई तक जांच पर अंतरिम रोक लगा दी और अगली सुनवाई के लिए 22 अक्टूबर की तारीख तय की है.
अदालत के निर्देश पर दर्ज की गई शिकायत
यह मामला बेंगलुरू की एक अदालत के निर्देशों पर शनिवार को दर्ज किया गया था, जिसमें अब खत्म हो चुके चुनावी बॉन्ड योजना से संबंधित शिकायत थी. पुलिस के मुताबिक, एफआईआर आईपीसी की धारा 384 (जबरन वसूली), 120बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 34 (समान इरादा) के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों और राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के पदाधिकारियों के खिलाफ दर्ज की गई थी.
8000 करोड़ लाभ का आरोप
कर्नाटक बीजेपी प्रमुख बीवाई विजयेंद्र और पार्टी नेता नलिन कुमार कतील का भी एफआईआर में नाम आया है. शिकायत जनाधिकार संघर्ष परिषद (जेपीएस) के सह-अध्यक्ष आदर्श आर अय्यर ने पुलिस के सामने की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने “चुनावी बॉन्ड का ढोंग करके जबरन वसूली की” और 8,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का लाभ उठाया.
शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि वित्त मंत्री सीतारमण ने ईडी अधिकारियों की गुप्त मदद और समर्थन से राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अन्य लोगों से लाभ के लिए हजारों करोड़ रुपए की जबरन वसूली की. शिकायत में कहा गया है, “चुनावी बॉन्ड के ढोंग के तहत पूरी जबरन वसूली रैकेट बीजेपी के विभिन्न स्तरों के अधिकारियों के साथ मिलकर रची गई.”