नई दिल्ली
देश के विदेशी मुद्रा भंडार और गोल्ड रिजर्व में कमी आई है। यह जानकारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने दी। इसके साथ ही पिछले कई हफ्ते से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में जारी तेजी थम गई है। रिजर्व बैंक के अनुसार 4 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 3.71 अरब डॉलर घटकर 701.18 अरब डॉलर रह गया। इससे पहले विदेशी मुद्रा भंडार पिछले रिपोर्टिंग सप्ताह (27 सितंबर) में 12.58 अरब डॉलर की छलांग लगाई थी। इसके बाद यह 704.88 अरब डॉलर के रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था।
कई हफ्तों की रफ्तार थमी
- 27 सितंबर को खत्म हफ्ता: पिछले हफ्ते विदेशी मुद्रा भंडार में 12.58 अरब डॉलर की तेजी आई थी। इस बढ़ोतरी के बाद यह 704.88 अरब डॉलर के रेकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया था।
- 20 सितंबर को खत्म हफ्ता: इस हफ्ते देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.84 अरब डॉलर बढ़कर 692.29 अरब डॉलर हो गया था।
- 13 सितंबर को खत्म हफ्ता: इस हफ्ते विदेशी मुद्रा भंडार में 22.3 करोड़ डॉलर की बढ़ोतरी हुई थी। इसके साथ यह 689.46 अरब डॉलर पर पहुंच गया था।
- 6 सितंबर को खत्म हफ्ता: इस भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 5.25 अरब डॉलर का उछाल आया था। इस उछाल के साथ यह 689.23 अरब डॉलर हो गया था।
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में भी आई गिरावट
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां भंडार का बड़ा हिस्सा होती हैं। इनमें भी गिरावट आ गई है। शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार इनमें 4 अक्टूबर को समाप्त हफ्ते के लिए 3.511 अरब डॉलर की कमी आई है। इस कमी के बाद यह घटकर 612.643 अरब डॉलर रह गईं। बता दें कि डॉलर के संदर्भ में उल्लेखित विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की तेजी या गिरावट का प्रभाव शामिल होता है।
गोल्ड रिजर्व में कितनी कमी आई?
रिजर्व बैंक ने कहा कि सप्ताह के दौरान गोल्ड रिजर्व में 4 करोड़ डॉलर की कमी आई है। इस गिरावट के साथ यह घटकर 65.75 अरब डॉलर रह गया। स्पेशल ड्रॉइंग राइट या विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) में भी 12.3 करोड़ डॉलर की गिरावट देखी गई। इससे उनका कुल भंडार 18.42 अरब डॉलर रह गया। रिजर्व बैंक के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास भारत का आरक्षित भंडार 3.5 करोड़ डॉलर घटकर 4.35 अरब डॉलर रह गया है।
विदेशी मुद्रा भंडार कम होने से क्या पड़ेगा असर?
हर देश अपने पास विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ाकर रखता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर रुपये पर अचानक दबाव बढ़ता है तो रिजर्व बैंक के पास उसे समर्थन देने का विकल्प होता है। विदेशी मुद्रा भंडार कम होने से रुपये की कीमत गिर सकती है। साथ ही दूसरे देशों से व्यापार करने पर बिल के पेमेंट में परेशानी हो सकती है। ऐसी किसी भी समस्या से बचने और ग्लोबल लेवल पर भू-राजनीतिक परिस्थितियों को देखते भारत अपना विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा रहा है।