नई दिल्ली
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा का शनिवार को निधन हो गया। तबीयत बिगड़ने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान ही सरकारी अस्पताल में उनका निधन हो गया। साईबाबा की आयु 50 वर्ष से अधिक थी। अधिकारी ने बताया कि साईबाबा ने शनिवार रात करीब नौ बजे अंतिम सांस ली। साईबाबा पित्ताशय में संक्रमण और स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याओं से पीड़ित थे। इसी के चलते उनका निधन हो गया।
10 साल काटी जेल, सात महीने पहले ही छूटे
जीएन साईबाबा माओवादियों से कथित संबंधों के एक मामले में 10 साल जेल में रहने के बाद, महज सात महीने पहले बरी किए गए। इस वर्ष मार्च में बॉम्बे हाईकोर्ट ने साईबाबा को माओवादियों से कथित संबंध के मामले में बरी कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ आरोपों को साबित करने में विफल रहा।
जानिए किस मामले में गए थे जेल
दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईंबाबा का शनिवार को खराब स्वास्थ्य के चलते निम से हॉस्पिटल में निधन हो गया। महाराष्ट्र पुलिस ने उन पर प्रतिबंधित भाकपा माओवादी से संबंध होने का आरोप लगाया था, लेकिन बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था। डीयू में अंग्रेजी के प्रोफेसर, साईंबाबा को 2014 में महाराष्ट्र पुलिस द्वारा माओवादी समूहों से संबंध होने के संदेह में गिरफ्तार किए जाने के बाद कॉलेज से निलंबित कर दिया गया था।
बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर बरी हुए साईंबाबा
गिरफ्तारी के बाद, साईंबाबा को नागपुर सेंट्रल जेल में कैद किया गया था। मार्च 2017 में, महाराष्ट्र की एक सत्र अदालत ने साईंबाबा और पांच अन्य लोगों – महेश तिर्की, पांडु नरोते, हेम मिश्रा, प्रशांत राही और विजय तिर्की को कथित माओवादी संबंधों और राष्ट्र के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाली गतिविधियों में शामिल होने का दोषी पाया था। इस साल की शुरुआत में, बॉम्बे हाई कोर्ट से बरी किए जाने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था।