वंदे भारत ट्रेन को कई रूट पर नहीं मिल रहे यात्री, क्या फेल हो रहा है पीएम मोदी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट?

नई दिल्ली

वंदे भारत ट्रेन के जरिए हम रेलवे को एक अलग नजरिए से देखते हैं। साफ-सुथरी ट्रेन। पूरी तरह वातानुकूलित। आरामदायक सीटें। फास्ट स्पीड। और वगैरह, वगैरह…। कहा जाए तो आरामदायक सफर। हां, टिकट के लिए कुछ पैसा ज्यादा जरूर खर्च करना पड़ता है। वंदे भारत ट्रेन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी ड्रीम प्रोजेक्ट है। वे चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा यात्री इन आरामदायक ट्रेनों में सफर करें, लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है।

पिछले कुछ समय से ऐसी कई खबरें आ रही हैं जिनमें बताया जा रहा है कि कई रूट पर इस ट्रेन को यात्री ही नहीं मिल रहे हैं। ताजा मामला दुर्ग-विशाखापट्टनम रूट का है। इस ट्रेन को यात्रियों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इस ट्रेन में 1128 सीटें हैं। लेकिन इस पूरी ट्रेन में सिर्फ 150 से 200 यात्री की सफर कर रहे हैं। यानी एक तरह से देखा जाए तो यह ट्रेन खाली ही दौड़ रही है।

कई रूट पर है यह समस्या
सिकंद्राबाद-नागपुर रूट
इस रूट की भी यही स्थिति है। कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि इस रूट पर भी इस ट्रेन को यात्री नहीं मिल रहे हैं। इस रूट पर यह ट्रेन मात्र 20 फीसदी यात्रियों के साथ ही चल रही है। यानी इस ट्रेन में 80 फीसदी सीटें रह जाती हैं।

मेरठ-लखनऊ रूट
इस रूट पर भी वंदे भारत ट्रेन की शुरुआत काफी जोरदार तरीके से हुई थी। लेकिन यह भी यात्रियों के लिए तरस रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 8 कोच वाली इस ट्रेन के 7 कोच खाली रहते हैं। यानी इस ट्रेन में नियमित रूप से 120 से 150 यात्री ही सफर कर रहे हैं।

जिस दिन ट्रेन, उस दिन भी सीटें खालीं
काफी रूट पर इस ट्रेन को अच्छी संख्या में भी यात्री मिल रहे हैं। लेकिन सीटें फिर भी खाली रह जाती हैं। जहां दूसरी ट्रेनों में एक हफ्ते बाद तक की सीट नहीं मिलती, वहीं वंदे भारत में बुकिंग से अगले दिन की भी सीट मिल जाती है। ऐसे में वंदे भारत की तत्काल में टिकट लेने की जरूरत ही नहीं पड़ती।

हमने आज यानी संडे को ऐसे कई रूट चेक किए जिनमें कल यानी मंडे को चलने वाली ट्रेन में भी सीटें खाली थीं। इनमें मुंबई-शिर्डी वंदे भारत ट्रेन, इंदौर-नागपुर, दिल्ली-वाराणसी, अजमेर-चंडीगढ़, गोरखपुर-प्रयागराज आदि शामिल रहीं। हालांकि कई रूट ऐसे भी मिले इनमें वंदे भारत ट्रेन में सीटें पूरी तरह भरी हुई थीं और वेटिंग लिस्ट थी।

वंदे भारत को क्यों नहीं मिल रहे यात्री?
वंदे भारत को यात्री न मिलने के पीछे सबसे बड़ा कारण महंगा किराया बताया जाता है। जिन रूट पर यह ट्रेन चल रही है, उसका किराया वहां चल रही दूसरी ट्रेनों के मुकाबले काफी ज्यादा है। हां, काफी रूट पर यह ट्रेन दूसरी ट्रेनों के मुकाबले जल्दी जरूर पहुंचा देती है, लेकिन काफी यात्रियों को इससे फर्क नहीं पड़ता। यात्रियों का कहना है कि आधा या एक घंटा जल्दी पहुंचने के लिए जेब ज्यादा ढीली नहीं कर सकते।

क्या फेल हो गया वंदे भारत ट्रेन का यह प्रोजेक्ट?
कई रूट पर यात्री न मिलने से क्या यह माना जाए कि यह प्रोजेक्ट फेल हो गया है? ऐसा नहीं है। कई रूट पर ट्रेन पूरी ऑक्यूपेंसी के साथ चल रही है। काफी ट्रेन में वेटिंग लिस्ट भी है। हां, कुछ रूट पर यात्री जरूर कम हैं। इन रूट पर रेलवे विचार कर रहा है कि यात्री कैसे बढ़ाए जाएं।

इसके लिए ट्रेन का विस्तार भी किया जा रहा है यानी इसे गंतव्य स्टेशन से आगे तक चलाने पर विचार किया जा रहा है। जैसे मेरठ-लखनऊ के रूट की वंदे भारत ट्रेन को वाराणसी तक चलाने की बात हो रही है। वहीं कुछ ऐसे रूट पर इसके कोच की संख्या भी कम करने की बात हो रही है।

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