जर्मनी को चाहिए भारतीय वर्कर्स, सरकार ने बनाया प्लान, जानें किस सेक्टर में मिलेगी जॉब

यूरोप के आर्थिक कहे जाने वाले जर्मनी को लेबर शॉर्टेज यानी कामगारों की कमी से जूझना पड़ रहा है। इस कारण जर्मनी की अर्थव्यवस्था काफी संकटों का सामना कर रही है। यही वजह है कि उसे दुनियाभर से वर्कर्स की तलाश है, लेकिन जर्मनी का सबसे ज्यादा फोकस भारत पर है। जर्मनी चाहता है कि भारत से बड़ी तादाद में लोग उसके यहां काम करने आएं। इसी कड़ी में जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज की कैबिनेट ने 30 उपायों वाली लिस्ट को पारित किया।

इस लिस्ट को जर्मनी के लेबर मार्केट में वर्कर्स की कमी को पूरा करने के लिए भारतीय स्किल वर्कर्स को आकर्षित करने के लिए डिजाइन किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि स्किल वर्कर्स की कमी की वजह से जर्मनी के इनोवेशन और आर्थिक विकास पर खतरा मंडरा रहा है। जर्मनी में अभी 49 हजार भारतीय पढ़ाई भी कर रहे हैं। उम्मीद है कि इन छात्रों को भी जल्द से जल्द वर्कफोर्स में शामिल कर लिया जाएगा। भारत से पढ़ने जाने वाले छात्रों के पास भी जर्मनी में नौकरी का शानदार मौका होगा।

भारतीयों के आना देश के लिए सफलता: श्रम मंत्री
जर्मनी के श्रम मंत्री ह्यूबर्टस हील ने सरकार के प्रयासों को लेकर बात करते हुए कहा, “जर्मनी को अधिक आर्थिक गतिशीलता की जरूरत है और इसके लिए स्किल लेबर आवश्यक है। भारत में स्थिति बिल्कुल उलट है। हर महीने वहां के लेबर मार्केट में 10 लाख लोग शामिल हो रहे हैं।” उन्होंने कहा, “स्किल भारतीय वर्कर्स का आना हमारे देश के लिए पहले से ही एक सफलता की कहानी साबित हुआ है।” उनका मानना है कि भारतीय वर्कर्स के जरिए जर्मनी की अर्थव्यवस्था और भी ज्यादा बेहतर होगी।

जर्मनी में कितने भारतीय रह रहे हैं?
देश के श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी 2024 में लगभग 1,37,000 भारतीय स्किल वर्कर्स पदों पर काम कर रहे थे, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 23,000 अधिक है। 2015 में स्किल वर्कर्स के तौर पर काम करने वाले भारतीयों की तादाद 23,000 थी। मौजूदा आंकड़ें बताते हैं कि जर्मनी में भारतीयों के बीच बेरोजगारी दर सिर्फ 3.7 फीसदी है, जबकि पूरे देश में ये 7.1 फीसदी है। पिछले कुछ सालों से भारत से जर्मनी जाने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ी है।

किन सेक्टर्स में भारतीयों को चाहता है जर्मनी?
पारंपरिक रूप से भारत से बाहर नौकरी के लिए जाने वाले लोग आईटी और फाइनेंस सेक्टर में काम करते रहे हैं। ऐसा ही कुछ जर्मनी में भी है। नए उपायों के जरिए जर्मनी को उम्मीद है कि उसे हेल्थ इंडस्ट्री जैसे नर्सिंग होम और अस्पतालों में काम करने के लिए स्किल भारतीय वर्कर्स मिलेंगे। साथ ही साथ आईटी और कंस्ट्रक्शन सेक्टर के लिए भी भारतीय वर्कर्स मिल जाएंगे। जर्मनी को सबसे ज्यादा आईटी सेक्टर में लोगों की जरूरत है, जिसे भारतीय वर्कर्स आसानी से पूरा कर सकते हैं।

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