‘नाममात्र जुर्माना लगाकर नियम तोड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं’, दिल्ली में प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट फिर भड़का

नई दिल्ली,

दिल्ली-NCR में प्रदूषण संकट को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार को फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण के मामलों पर कम जुर्माना क्यों है, इस तरह आप लोगों को प्रोत्साहित कर रहे हैं. वहीं कोर्ट ने पराली जलाने के मुद्दे पर CAQM (Commission for Air Quality Management) पर भी नाराजगी जताई है. कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण को रोकने में नाकाम रहे अधिकारियों पर सीधे कार्रवाई क्यों नहीं की गई, इसके बजाय उन्हें सिर्फ नोटिस जारी करके जवाब मांगा गया?

केंद्र सरकार को दिया दो सप्ताह का समय
सामने आया है कि, सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है कि वह पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (EPA) के तहत नियम बनाए और ज़िम्मेदार अधिकारियों की नियुक्ति करे. अदालत ने कड़े शब्दों में कहा कि यह सिर्फ कानून के उल्लंघन का मामला नहीं है, बल्कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है.

पराली जलाने में दंडात्मक कार्रवाई अधूरी
कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं का जिक्र करते हुए बताया कि दोनों राज्यों में दंडात्मक कार्रवाई अधूरी है. पंजाब में 1098 आगजनी के मामलों में केवल 483 को मुआवजा मिला है, जबकि हरियाणा में 498 मामलों में सिर्फ 93 व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट है कि कानून का सख्ती पालन नहीं किया जा रहा है और ज़िम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.

क्या बोले सॉलिसिटर जनरल?
वहीं, सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि 10 दिनों के भीतर नियम बना लिए जाएंगे और पूरी व्यवस्था लागू की जाएगी. इसके बावजूद, कोर्ट ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि अब वक्त आ गया है कि हर नागरिक के स्वच्छ पर्यावरण में जीने के मौलिक अधिकार को सुरक्षित किया जाए. कोर्ट ने कहा, “यह सिर्फ कानून पालन की बात नहीं है, बल्कि यह सवाल है कि सरकारें नागरिकों के गरिमापूर्ण जीवन और स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार की सुरक्षा कैसे करेंगी.” अदालत ने इस मुद्दे पर सरकार की निष्क्रियता की आलोचना करते हुए कहा कि कानूनों को लागू करने में देरी के कारण उन लोगों को सजा नहीं मिल रही है जो पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं. यह मामला अब सिर्फ पर्यावरण का नहीं, बल्कि हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा जुड़ चुका है.

सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
सुप्रीम कोर्ट: पंजाब सरकार बताए, कितना जुर्माना लगाया गया है?
पंजाबः 417 लोगों से 11 लाख रुपए वसूले गए.
सुप्रीम कोर्टः हर उल्लंघनकर्ता से कितनी राशि वसूली गई?
पंजाब- रकम रकबे के मुताबिक अलग-अलग थी. औसतन 2500 रुपये से 5000 रुपये.
सुप्रीम कोर्टः आप नाममात्र जुर्माना लगा कर लोगों को नियम तोड़ने और कानून हाथ में लेने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि जुर्माना बढ़ाए जाने पर विचार कीजिए. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि पराली जलाने के मामले में अब तक 44 मुकदमे दर्ज किए गए हैं. कोर्ट ने कहा कि 3 साल बाद भी हमारे आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है. आपने जो 44 मुकदमे दर्ज किए है उनमें किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई? आप बताएं कि इस साल पराली जलाने की कुल कितनी घटनाएं हुई हैं?

पंजाब सरकार का जवाबः पंजाब सरकार ने कहा कि अब तक 1510 घटनाएं रिपोर्ट हुई हैं.
सुप्रीम कोर्ट: इसमें कितनी FIR दर्ज हुई है? पंजाब सरकारः 1084 मुकदमे दर्ज किए हैं.

सुप्रीम कोर्ट (पंजाब सरकार को फटकारते हुए) : 10 जून के CAQM पर आधारित आदेश के बावजूद राज्य ने नोडल और क्लस्टर अधिकारी नियुक्त नहीं किए. आपने अपने हलफनामे मे भी इसका जिक्र नहीं किया है. आप दिखाइए कि ग्राम नोडल अधिकारी और क्लस्टर अधिकारी की नियुक्ति कहां हुई है? अगर इन अधिकारियों की नियुक्ति हुई है तो ये बताइए कि इन अधिकारियों ने क्या किया है? आपके पिछले हलफनामे में इस बारे में कुछ नहीं लिखा था.

3 सालों से कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?
पीठ ने पूछा कि हमारे आदेश के बाद भी कमिटी का गठन दो सालों से क्यों नहीं किया? इसका क्या जवाब है आपके पास? आप पराली जलाने वालों पर भी मामूली जुर्माना लगा रहे है! आपने अब तक एक तिहाई लोगों से ही जुर्माना वसूला है? कोर्ट ने कहा कि आपने 1084 में से केवल 470 पराली जलाने के आरोपियों पर ही क्यों मामूली जुर्माना लगाया है? आपने इसी अपराध के आरोपी 600 लोगों से जुर्माना क्यों नहीं लिया? आपने 3 सालों से कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के मुख्य सचिव से सवाल शुरू किए…

हरियाणा मुख्य सचिवः हर स्तर पर हमने नोडल ऑफिस नियुक्त किए है. जिनकी संख्या 5 हजार से भी ज्यादा है. हमने 2021 से इसकी शुरुआत कर दी थी.
सुप्रीम कोर्ट: अप्रैल से अब तक कितनी FIR दर्ज हुई है.
हरियाणा के वकील: प्रदूषण को लेकर 200 दर्ज हुई हैं. पराली जलाने की 400 छोटी बड़ी घटनाओं मे 32 एफआईआर दर्ज की है.

हरियाणा सरकार: 419 पराली जलाने की अभी तक घटनाएं हुई है.
सुप्रीम कोर्ट: आप थोड़ी देर पहले 317 कह रहे थे फिर आप 419 कह रहे है. हरियाणा सरकार “आई वॉश” का काम कर रही है. कुछ लोगों पर FIR और कुछ पर जुर्माना. ये पिक एंड चूज यानी मन मुताबिक किसी को पुचकार और किसी को फटकार का ये क्या खेल है? सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी को फटकार लगाते हुए कहा कि आप आंख मे धूल झोंकने का काम कर रहे हैं.

हरियाणा सरकार को कोर्ट की फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार से कहा कि आप जानबूझकर सेक्शन 15 के तहत जुर्माना वसूल रहे हैं ताकि बाद में उसे अपील के जरिए खारिज किया जा सके.
हरियाणा सरकार ने कहा कि हम हर मामले में एफआईआर दर्ज करते हैं. पहले 10 हजार मामले होते थे इसे हमने सख्त रवैया अपना कर 400 तक कम कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सब बकवास है. आपने कोई नीति नही बनाई है.कुछ लोगों को गिरफ्तार किया जाता है. लेकिन कुछ पर केवल जुर्माना ही लगा कर छोड़ दिया जाता है.

आप कोई कार्रवाई नहीं कर रहेः सुप्रीम कोर्ट
हरियाणा ने कहा कि ऐसा नहीं है. कुछ लोग ऐसे हैं जो बार-बार अपराध करते हैं. यानी आदतन अपराधी हैं. कुछ ऐसे भी हैं जो जुर्माना देने से बचते हैं. हमने दोनों पर कार्रवाई की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें आपके बयान पर बहुत संदेह है. सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार के आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए कहा कि कम संख्या का मतलब है कि आप इसे रिकॉर्ड पर नहीं ले रहे हैं. आप कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. 10 हजार मामलों से कैसे संख्या सिर्फ 400 तक ही जा सकती है?

क्या बोले पंजाब के मुख्य सचिव?
पंजाब के मुख्य सचिव ने कहा कि हमने पराली के डिस्पोजल के लिए मशीनें दी हैं. इनके प्रयोग की वजह से पराली जलाने की घटनाओं का ग्राफ घटा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंजाब और हरियाणा सरकार ने बताया कि नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं. लेकिन दोनों ये नहीं बताया कि उन्होंने कितने अधिकारी लगाए हैं.

CAQM भी सुप्रीम के निशाने पर
जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग यानी CAQM से कहा कि मुआवज़ा निर्धारित करने के लिए CAQM द्वारा सेक्शन 15 की शक्ति का प्रयोग क्यों नहीं किया जाता? मुआवज़े पर पुनर्विचार करने की जरूरत है. CAQM ने कहा कि हम इस पर पुनर्विचार करेंगे.

एमाइकस ने कोर्ट से कहा कि जिम्मेदार अधिकारियों को दोषी ठहराया जाना चाहिए. क्योंकि इतने सालों से ये लोग सिर्फ बयानबाजी कर रहे है. CAQM ने कहा कि, यह पहली बार है कि हम सेक्शन 14 के तहत कदम उठा रहे हैं. हम सेक्शन 14 के तहत इनके खिलाफ मुकदमा नहीं चलाना चाहते. क्योंकि ये वे अधिकारी हैं जिनसे हमें काम करवाना है. लेकिन हमने नोटिस जारी किए हैं. हम उन लापरवाहियों और अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर की गई कार्रवाई से कोर्ट को अवगत कराएंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने दिए ये निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये समय है कि केन्द्र सरकार और राज्य सरकार सोचे कि ये लोगों का मूल अधिकार है कि वो स्वच्छ हवा में रहें और सरकार कैसे जनता को प्रदूषण मुक्त वातावरण मुहैया कराएगी. प्रदूषण को लेकर कोर्ट हर साल आदेश पारित करता है लेकिन जमीनी हकीकत नहीं बदल रही. इसलिए इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का अब वक्त आ गया है.

सेक्शन 15 में संशोधन करे केंद्र सरकारः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि केन्द्र सरकार सेक्शन 15 में संशोधन करे और प्रदूषण फैलाने वालों पर जुर्माना बढाया जाए. अमाइकस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली में मुंडका, आनंदविहार पटपड़गंज सहित 13 हॉटस्पॉट हैं जहां प्रदूषण ज्यादा हो रहा है. इसकी वजह कूडा जलाना है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंजाब सरकार के प्रदूषण के मद्देनजर जो फण्ड मांगे है उसपर केंद्र सरकार दो हफ्ते में फैसला ले.

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