नई दिल्ली,
भारत में अवैध रूप से घुसपैठ कर राजधानी में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों के बच्चों को दिल्ली के सरकारी स्कूल में एडमिशन देने की मांग वाली याचिका दिल्ली हाई कोर्ट से खारिज हो गई है. अदालत का कहना है कि शिक्षा का अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिकों के लिए है. दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को अपनी अपील का ज्ञापन गृह मंत्रालय को देने के लिए कहा है. कोर्ट ने गृह मंत्रालय से ज्ञापन पर कानून के मुताबिक जल्द से जल्द फैसला लेने के लिए भी कहा है.
‘शिक्षा का अधिकार सिर्फ भारतीयों के लिए’
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि शिक्षा का अधिकार (Right To Education) सिर्फ भारत के नागरिकों के लिए है. दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अपनी टिप्पणी में कहा कि आपको पहले उचित अथॉरिटी के पास जाना चहिए था. लेकिन आप तो सीधा कोर्ट आ गए.
‘कोर्ट नागरिकता नहीं दे सकता’
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि यह हम तय नहीं कर सकते हैं. यह पॉलिसी का मामला है. अदालत ने कहा कि कोर्ट नागरिकता नहीं दे सकता है, नागरिकता देना सरकार का काम है. साथ ही कोर्ट ने इसे अंतरराष्ट्रीय मामला करार दिया है.
‘यह कोई छोटा मामला नहीं है’
कोर्ट ने कहा कि यह एक अंतरराष्ट्रीय मामला है. यह कोई छोटा मामला नहीं है. यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ मामला भी है. अर्जी दाखिल करते समय आपको देखना चहिए कि सुप्रीम कोर्ट ने असम एकॉर्ड में क्या फैसला दिया है.
कौन हैं रोहिंग्या और म्यांमार से क्यों भागे?
रोहिंग्या, सुन्नी मुसलमान हैं, जो म्यांमार के रखाइन प्रांत में रहते थे. बौद्ध आबादी वाले म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमान माइनॉरिटी में हैं. इनकी आबादी 10 लाख से कुछ ज्यादा बताई जाती रही. लगातार सैन्य शासन के बाद थोड़े स्थिर हुए इस देश में जनगणना के दौरान रोहिंग्याओं को शामिल नहीं किया गया. कहा गया कि वे बांग्लादेश से यहां जबरन चले आए और उन्हें लौट जाना चाहिए.