शराब पर भी पड़ी महंगाई की मार, लेकिन वोदका ने कर दिया कमाल, व्हिस्की को छोड़ दिया पीछे

नई दिल्ली:

क्या शराब की डिमांड कम हो सकती है? आप कहेंगे नहीं, क्योंकि शायद आपको लगता है कि शराब पीने वालों की संख्या बढ़ रही है। लेकिन चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) के आंकड़े कुछ और कह रहे हैं। दूसरी तिमाही की रिपोर्ट के मुताबिक शराब की मांग में गिरावट आई है। हालांकि इस दौरान सभी शराब में वोदका मांग में सबसे आगे रही।

सितंबर में खत्म हुई तिमाही में शराब की मांग में एक फीसदी की गिरावट आई, जो कोविड-19 महामारी के बाद पहली गिरावट है। शराब कंपनियों के मुताबिक यह गिरावट कुछ राज्यों में बाढ़ और टैक्स में वृद्धि के कारण आई है। सभी प्रकार की शराब में व्हिस्की का मार्केट करीब दो-तिहाई है।

वोदका बनी पहली पसंद
इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार इंडस्ट्रियों के अधिकारियों ने नवीनतम आबकारी विभाग के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि व्हिस्की की मांग में एक फीसदी की गिरावट आई है। वहीं ब्रांडी की मांग में 3 फीसदी और रकम की मांग में 2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।

इससे अलग वोदका और जिन की मांग में तेजी दर्ज की गई। वोदका की मांग में 17 फीसदी और जिन की मांग में 2 फीसदी की तेजी आई है। यानी शराब पीने वालों ने व्हिस्की की अपेक्षा वोदका को ज्यादा पसंद किया है।

मांग में आएगी तेजी
शराब इंडस्ट्री के जानकारों के मुताबिक शराब की मांग में यह कमी अस्थाई है। आने वाले समय में इसमें तेजी देखी जा सकती है। यूनाइटेड स्पिरिट्स की मैनेजिंग डायरेक्टर हिना नागराजन ने कहा कि यह पहली तिमाही है जहां प्रदर्शन के मामले में व्हिस्की आदि वोदका और दूसरी शराब से पिछड़ रही हैं। नागराजन के मुताबिक यह अस्थाई झटका है। आने वाले समय में इसमें तेजी देखी जा सकती है।

मंदी के कई कारण
रेडिको खेतान के मुख्य परिचालन अधिकारी अमर सिन्हा ने कहा कि मंदी कई कारकों से रही। यह मुख्य रूप से बाजार में बदलाव के कारण थी। एक तरफ आंध्र प्रदेश में शराब की नई नीति आई तो वहीं कर्नाटक में शराब नीति को लेकर कई अनिश्चितताएं रहीं। ऐसे में इन दो बड़े राज्यों में शराब की बिक्री कम रही। सिन्हा ने कहा कि इस दौरान श्राद्ध भी थे। इस कारण भी शराब की मांग में कमी रही।

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