नीतीश कुमार के ‘दो सेनापति’ और ‘बदलापुर एक्सप्रेस’! नेता प्रतिपक्ष की मुस्कान का राज जानिए

पटना

विपक्ष के सीएम उम्मीदवार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की मुस्कान कुछ लंबी खींच रही है। ये मुस्कान तब उनके चेहरे पर आई, जब एक पत्रकार ने पूछा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और नीतीश कुमार के कभी सेनापति रहे आरसीपी सिंह ने नई पार्टी ‘आप सब की आवाज’ बनाई है। परंतु वर्ष 2025 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की सरकार बनाने का दावा करने वाले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जब इस सवाल के साथ मुस्कुराहट बिखेर दी, तो राजनीतिक गलियारों में मुस्कुराहट के मायने निकाले जाने लगे। पहले जानते हैं कि तेजस्वी यादव ने कहा क्या?

दल बनाने का अधिकार: तेजस्वी
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह द्वारा नई पार्टी के गठन को लोकतांत्रिक अधिकार से जोड़कर मुस्कुरा भी रहे थे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में तो दल बनाना जनहित में अच्छी बात है। आखिर इसमें बुरा क्या है? लोकतंत्र में दल के गठन का सभी को अधिकार है। सबका अपना-अपना अधिकार है। और आरसीपी सिंह तो राजनीतिज्ञ हैं, पार्टी बनाई तो अच्छी बात है।

पार्टी या ‘बदलापुर एक्सप्रेस’!
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का इतिहास पीछा नहीं छोड़ रहा है। कहते हैं कि कभी नीतीश कुमार के सेनापति रहे और जेडीयू के संगठन को बूथ स्तर तक खड़ा करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को वर्ष 2022 में जेडीयू की प्राथमिक सदस्यता से बर्खास्त करना काफी खल गया। और जब आरसीपी सिंह मई 2023, में भाजपा में शामिल हुए तब राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा तेज हो गई कि आरसीपी का ‘बदलापुर एक्सप्रेस’ चल पड़ी। तब नीतीश कुमार भी महागठबंधन में थे। बीजेपी ने आरसीपी सिंह को भाव नहीं दिया।

पटरी से उतरी गाड़ी
आरसीपी सिंह बीजेपी में भाव नहीं मिलने से परेशान हुआ। उनकी ‘बदलापुर एक्सप्रेस’ सियासी पटरी से उतर गई। अब उन्होंने पटरी चेंज कर लिया। और अब जब से नई पार्टी बनी है. तबसे आरजेडी के नेताओं के चेहरे पर मुस्कुराहट दौड़ गई। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की मुस्कुराहट की जड़ में यही ‘बदलापुर एक्सप्रेस’ है। आरजेडी नेता ये मान चुके हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निराशा हाथ लगेगी। यही नहीं राजद नेताओं को सीएम की कुर्सी मिलने की कुछ ज्यादा ही आशा हो गई है। इसके पीछे का तर्क ये है कि आरसीपी की पार्टी के चुनावी जंग में उतरने से कोइरी-कुर्मी वोट बैंक में बिखराव होगा। नुकसान नीतीश को होगा।

विधानसभा चुनाव पर नजर
आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नीतीश कुमार के दो सेनापति के द्वारा पार्टी बना कर चुनावी जंग में उतरने का नुकसान रणनीति के अनुसार तो एनडीए का दिखता है। ऐसा इसलिए कि सेनापति आरसीपी रहें या प्रशांत किशोर। ये रणनीतिक रूप से भाजपा और जदयू की चुनावी रणनीति से पूरी तरह से वाकिफ हैं। चुनावी रणनीति से संबंधित जितने भी डॉक्यूमेंट होंगे वह पीके और आरसीपी के पास होंगे। इन आंकड़ों की बारिश दलों की मजबूती और कमजोरी सबकी जानकारी, इन दोनों नेताओं के पास है। आगामी चुनाव में भाजपा और जदयू की रणनीति काट निकालना जन सुराज और ‘आप सब की आवाज’ दल के लिए आसान होगा।

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