MP: हाथी लेते हैं अपने साथियों की मौत का बदला? एक्सपर्ट ने बताए कैसे याद रहती उन्हें सारी बातें

भोपाल

मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 हाथियों की मौत हो गई है। इसके उनके साथी हाथी गुस्से में हैं। बताया जा रहा है कि यह 13 हाथियों का झुंड था। इनमें से जो बच गए हैं, वह बेहद आहत हैं। उन्हीं बचे हुए हाथियों ने शनिवार को दो आदमियों की जान ले ली थी। वन विभाग ने इन हाथियों का रेस्क्यू किया है। इसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या हाथी अपने साथियों की मौत का बदला लेते हैं।

साथियों की मौत से दुखी हो जाते हैं हाथी
छत्तीसगढ़ में वाइल्ड लाइफ पर काम करने वालीं एक्सपर्ट नीतू गुप्ता ने कहा कि हाथी अपने साथियों की मौत के बाद दुखी बहुत रहते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होता है कि वह दुखी हैं तो जाकर हमला कर देंगे। इस दौर में आकर कोई उसे परेशान करेगा तो वह रिएक्ट करेगा।

हाथी है सामाजिक प्राणी
नीतू गुप्ता ने कहा कि हाथी बहुत ही सोशल एनिमल है। वह फैमिली में ही रहता है। परिवार के साथ उनकी बॉन्डिंग बहुत स्ट्रॉंग रहती है। बांधवगढ़ में भी हाथी को जब दफनाया जा रहा था तो उनके साथी वहां पहुंचे थे। यह फीलिंग जनरेशन बाय जनरेशन ट्रांसफर होती है। एक्सपर्ट ने कहा कि हाथी का रेस्क्यू भी गलत है। साथ ही उनका कहना है कि कोदो तो गांव के जानवर भी खा रहे हैं लेकिन उनको कुछ नहीं हुआ है।

वहीं, ग्रामीणों के तर्क को भी एक्सपर्ट खारिज कर रहे हैं। एक्सपर्ट नीतू गुप्ता ने कहा कि हाथी बदला नहीं लेते हैं। अपने परिवार को खोने की वजह से वह आक्रोशित रहते हैं। इस बीच उनकी राह में कोई आएगा तो उस पर हमला करेंगे लेकिन बदला वाली बात नहीं है।

पीढ़ी दर पीढ़ी याद रहती हैं बातें
मध्य प्रदेश में वन्य जीवों पर काम करने वाले अजय दुबे ने कहा कि हाथी फैमिली नेटवर्क में रहने वाले जानवर हैं। इनकी यादश्त बहुत मजबूत होती है। साथ ही यह समझदार और संवेदनशील भी होते हैं। उसके परिवार के लोगों की आकाल मृत्यु होती है तो उस पर सीधा असर पड़ता है। इससे उनके अंदर एक तनाव भी उत्पन्न होता है। इससे विचलित होकर हाथी उग्र हो जाते हैं। हाथियों की मौत अगर नैचुरल होती तो यह उग्रता उनके अंदर नहीं दिखती। यह उनके लिए एक त्रासदी है।

स्थाई होता है यह असर
वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे ने कहा कि यह असर उनके ऊपर स्थाई होता है। साथ ही पीढ़ी दर पीढ़ी यह ट्रांसफर होते रहता है। उनके लिए यह न भूलने वाली बात होती है। हालांकि समय के साथ इसे लेकर उनकी उग्रता कम हो जाती है। उस जगह से जब वह गुजरेंगे तो उनकी यादें ताजा हो जाएंगी। बांधवगढ़ में हाथियों को पकड़ लिया गया, वह इंसानों के साथ रहेगा तो स्थिति बदल जाएगी। हालांकि वह घटना को भूलेंगे नहीं।

About bheldn

Check Also

‘जात पात की करो विदाई, हम सब हिंदू भाई भाई’, लाखों हिंदुओं को बुलाकर पदयात्रा से पहले बागेश्वर बाबा ने दिखाई ताकत

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सनातन हिंदू एकता पदयात्रा की शुरुआत …