नई दिल्ली,
सदन में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने नोटबंदी के आठ साल होने पर एक बार फिर इसे लेकर केंद्र सरकार को घेरा है. राहुल गांधी ने नोटबंदी पर सवाल उठाते हुए कहा, नोटबंदी के बाद भी आज भारत में नकदी का उपयोग पहले से अधिक है. नोटबंदी का उद्देश्य नकदी पर निर्भरता को कम करना और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना था, लेकिन इसका अपेक्षित असर नजर नहीं आता.
क्या बोले राहुल गांधी?
उन्होंने X पर लिखी अपनी एक पोस्ट में दर्ज किया, ‘विशेषज्ञों का मानना है कि नोटबंदी से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) और अनौपचारिक क्षेत्र पर गहरा प्रभाव पड़ा है. इसकी वजह से बाजार में कई बड़े व्यवसायों और एकाधिकार की स्थिति उत्पन्न हुई, जिसने छोटे उद्योगों को नुकसान पहुंचाया है.
‘कमजोर हो रही है देश की आर्थिक क्षमता’
अर्थ जगत के जानकारों के मुताबिक, देश में गलत नीतियों के कारण व्यापार जगत के लिए डर का माहौल बना हुआ है. इससे देश की आर्थिक क्षमता कमजोर हो रही है. भारत की आर्थिक प्रगति के लिए ऐसी नई नीति की जरूरत है जो निष्पक्षता और स्वतंत्रता को बढ़ावा दे और छोटे व ईमानदार व्यवसायों को आगे बढ़ने का अवसर दे.’
देश में बड़े बदलाव की गवाह है 8 नवंबर की तारीख
बता दें कि 8 नवंबर 2016 की तारीख देश में एक बड़े फैसले और बदलाव की गवाह है. दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 साल देश में नोटबंदी का ऐलान किया था. इसके बाद उसी दिन आधी रात से 500 और 1000 के नोट चलन से बाहर हो गए. सरकार के इस फैसले से देश में काफी उथल-पुथल मची, लेकिन फिर नए नोट करेंसी मार्केट का हिस्सा बने.
कितनी बढ़ी कैश की खपत?
साल 2022 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी के बाद से तब तक देश में कैश सर्कुलेशन 71.84 फीसदी बढ़ चुका था. 8 नवंबर 2016 को जब नोटबंदी की घोषणा की गई थी, उस समय 4 नवंबर 2016 को देश में 17.7 लाख करोड़ रुपये का कैश मौजूद था. जबकि 29 अक्टूबर 2021 से यह बढ़कर 29.17 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया था. यानी 2021 में नोट के सर्कुलेशन में करीब 64 फीसदी की बढ़त हुई थी, जो साल 2022 में यानी कि नोटबंदी के छठे साल में बढ़कर करीब 72 फीसदी तक पहुंच गई थी.