पुलिस वालों से घर पर काम कराने वाले बड़े अफसरों की खैर नहीं, मद्रास हाईकोर्ट का सख्त रुख

चेन्नै

मद्रास हाईकोर्ट ने सरकार के गृह, निषेध और आबकारी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रधान सचिव को निर्देश दिया है कि वे विस्तृत जांच कर उन जेल अधिकारियों के खिलाफ सभी उचित कार्रवाई शुरू करें, जिन्होंने राज्य भर की सभी जेलों में अपने आवासीय या व्यक्तिगत कार्य के लिए वर्दीधारी कर्मियों/लोक सेवकों को तैनात किया है। अदालत ने आदेश दिया कि जांच या तो पुलिस की सीबीसीआईडी शाखा की सहायता से की जा सकती है या फिर खुफिया शाखा से आवश्यक जानकारी हासिल करके की जा सकती है। जस्टिस एस एम सुब्रमण्यम और जस्टिस एम जोतिरमन की बेंच ने हाल ही में एक आदेश में यह आदेश दिया।

तीन सप्ताह के भीतर करने का दिया आदेश
बेंच ने कहा कि ऐसी पहचान के आधार पर अतिरिक्त मुख्य सचिव की ओर से उचित आदेश पारित कर उन सभी वर्दीधारी कर्मियों को वापस बुलाया जाना चाहिए और उन्हें जेल नियमों और लागू सरकारी आदेशों के अनुसार जेल ड्यूटी पर तैनात किया जाना चाहिए। बेंच ने कहा कि यह कार्य अतिरिक्त मुख्य सचिव की ओर से तीन सप्ताह के भीतर किया जाना था। बेंच ने यह आदेश सुजाता की ओर से दायर याचिका पर पारित किया, जिसमें प्राधिकारियों को उनके अभ्यावेदन पर विचार करने और निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

कोर्ट ने क्या कहा?
उनके ज्ञापन में कई शिकायतें शामिल थीं। इनमें जेल अधिकारियों की ओर से वर्दीधारी कर्मियों को उनके आवासीय कार्यों के लिए उपयोग करने के खिलाफ शिकायतें भी शामिल थीं। बेंच ने कहा कि यह न्यायालय का कर्तव्य है कि वह याद दिलाए कि पुलिस/जेल अधिकारी लोक सेवक हैं और उन्हें करदाताओं के पैसे से अच्छा वेतन दिया जाता है। उनके सार्वजनिक कर्तव्यों के प्रभावी निष्पादन के लिए सरकार द्वारा अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं। बेंच ने कहा कि इस प्रकार उनसे प्रासंगिक नियमों के तहत जो भी लाभ स्वीकार्य हैं, उन्हें प्राप्त करने की अपेक्षा की जाती है और आधिकारिक पद के दुरुपयोग की स्थिति में वे अभियोजन और कदाचार के लिए अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने के लिए उत्तरदायी हैं।

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