वॉशिंगटन
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से अरबपति बिजनेसमैन से परोपकारी का चोला ओढ़ने वाले जॉर्ज सोरोस की टेंशन बढ़ने वाली हैं। ऐसा अनुमान है कि ट्रंप के ओवल ऑफिस संभालते ही जॉर्ज सोरोस के वित्तीय हित और राजनीतिक प्रोजेक्ट मुश्किल में पड़ सकते हैं। इसका कारण यह है कि जॉर्ज सोरोस ने ट्रंप को बदनाम करने के लिए करोड़ों डॉलर का फंड दिया था। यहां तक कि सोरोस ने ट्रंप के खिलाफ अभियोग चलाने, उनको बदनाम करने के लिए कई लोगों को नौकरियों पर भी रखा था। सोरोस ने पूरी कोशिश की थी कि ट्रंप फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति न बन सकें।
हांगकांग कार्यालय को बंद कर रही सोरोस की कंपनी
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, सोरोस फंड मैनेजमेंट 14 साल के संचालन के बाद एक आश्चर्यजनक “प्रशासनिक पुनर्गठन” के हिस्से के रूप में अपने हांगकांग कार्यालय को बंद करने की योजना बना रहा है। यह कदम ट्रंप के सत्ता में वापस आने के साथ अपने सॉफ्ट पावर साम्राज्य के संचालन के तरीके में बड़े बदलाव करने के लिए सोरोस परिवार की तैयारी का संकेत हो सकता है।
डेमोक्रेट के समर्थक हैं सोरोस
जॉर्ज सोरोस, उनके बेटे और उत्तराधिकारी एलेक्स व्हाइट हाउस में डेमोक्रेट राष्ट्रपति को बनाए रखने के अभियान में विफल रहे हैं। हालांकि, सोरोस के फंड फॉर पॉलिसी रिफॉर्म ने फ्यूचर फॉरवर्ड (एक डेमोक्रेट समर्थक डार्क मनी सुपर पीएसी) को 60 मिलियन डॉलर का डोनेशन किया है। यह 2023 में ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन की सहायक कंपनी द्वारा दिए जाने वाले 15 मिलियन डॉलर के दान के अतिरिक्त है।
ट्रंप के खिलाफ सोरोस ने की बड़ी फंडिंग
पैसे के साथ-साथ, सोरोस परिवार ने 2024 में “MAGA-शैली के रिपब्लिकन” के खिलाफ अभियान में महत्वपूर्ण फंडिंग की थी। 2023 में, एलेक्स सोरोस ने यूक्रेन, मोल्दोवा, पश्चिमी बाल्कन और अमेरिका पर ध्यान केंद्रित करने के लिए पश्चिमी यूरोप में OSF के संचालन को नाटकीय रूप से कम करने की घोषणा की, जिसका उद्देश्य ट्रंप को अमेरिकियों की सर्वोच्च प्राथमिकता बनने से रोकना था।
हिलेरी क्लिंटन के अभियान को दिए थे लाखों डॉलर
जॉर्ज सोरोस ने पहली बार 2016 में ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” विदेश नीति का विरोध किया था। तब उन्होंने हिलेरी क्लिंटन के राष्ट्रपति अभियान में लाखों डॉलर खर्च किए। हालांकि, वे अपने पसंदीदा उम्मीदवार को निर्वाचित नहीं करवा पाए। ट्रंप की जीत के बाद, सोरोस ने ट्रंप विरोधी “आंदोलन” को फाइनेंस किया, जो सड़कों पर विरोध प्रदर्शनों, उनके घरेलू एजेंडे को अदालती चुनौतियों, उनके प्रशासन के सदस्यों की गुप्त पैरवी, नवउदारवादी विदेश नीति को बढ़ावा देने वाले सांसदों के समर्थन और यहां तक कि ट्रंप को रूस समर्थक साबित करने के लिए 1 मिलियन डॉलर से अधिक खर्च किया गया।
सोरोस पर एक्शन से भारत को फायदा?
जॉर्ज सोरोस पर भारत विरोधी होने के आरोप लगते रहे हैं। उन पर मोदी सरकार को अस्थिर करने के लिए बड़े पैमाने पर फंडिंग करने और अभियान चलाने के आरोप हैं। ऐसा दावा किया जाता है कि सोरोस ने अलग-अलग माध्यमों से भारत सरकार के खिलाफ नकारात्मक अभियान चलाए और भारत के चुनावों में दखल देने का भरसक प्रयास भी किया। ऐसे में अगर अमेरिका में सोरोस एंड कंपनी पर एक्शन होता है, तो इससे भारत सरकार को बड़ा लाभ होगा।