अपनी जमीन का इस्तेमाल भारत-विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं होने देंगे, अफगानिस्तान ने दिया भरोसा

नई दिल्ली

अफगानिस्तान ने भारत को भरोसा दिया है कि वो अपनी जमीन का इस्तेमाल इंडिया विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं होने देगा। साथ ही, अफगानिस्तान ने भारत के साथ मानवीय और विकासात्मक साझेदारी बढ़ाने में भी रूचि दिखाई है। ये भरोसा अफगानिस्तान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मोहम्मद याकूब मुजाहिद ने इसी हफ्ते काबुल में भारतीय विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी जेपी सिंह से मुलाकात के दौरान दिया। मुजाहिद 1996-2001 तक अफगानिस्तान के नेता रहे मुल्ला उमर के बेटे हैं।

अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री की खरी-खरी
जेपी सिंह विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान क्षेत्र देखते हैं। अपनी काबुल यात्रा के दौरान उन्होंने अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी से भी मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक, मौजूदा तालिबान शासन के दौरान अफगानिस्तान में स्थिरता दिख रही है। हालांकि महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा को लेकर अब भी चिंता बनी हुई है।

पाकिस्तान से बढ़ रही दूरियां
सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान समर्थित भारत विरोधी आतंकवादी समूहों को वहां से काम करने की इजाजत नहीं है और ऐसे समय में जब पाकिस्तान-अफगानिस्तान संबंध बिगड़ रहे हैं, भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते मजबूत करने की गुंजाइश है। सूत्रों ने बताया कि तालिबान शासन ने अफीम की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया है और अफगान-पाक क्षेत्र में Daesh या ISIS से लड़ने के लिए दृढ़ दिखाई देता है, जिसे कथित तौर पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) का समर्थन प्राप्त है।

आसिफ दुर्रानी को पाकिस्तान ने हटाया
पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के लिए अपने विशेष प्रतिनिधि आसिफ दुर्रानी को हटा दिया है। एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, दुर्रानी को 10 सितंबर को प्रबंधन पद पर अफगानिस्तान के विशेष प्रतिनिधि के रूप में उनकी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया था। सूत्रों ने बताया कि तालिबान और पाकिस्तान के बीच संबंधों में दरार आ गई है, मुख्य रूप से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से जुड़े मुद्दों को लेकर ये मामला बढ़ा।

दिल्ली-काबुल में और सहयोग बढ़ने की गुंजाइश
मानवीय सहायता और विकास परियोजनाओं में भारत और काबुल के बीच सहयोग बढ़ाने की गुंजाइश है। 2021 में तालिबान के दोबारा सत्ता में आने से पहले, भारत ने अफगानिस्तान में कई परियोजनाओं की फंडिंग की थी। इनमें संसद भवन, सड़क और बिजली के बुनियादी ढांचे शामिल हैं। इसने जिला-वार छोटी विकास परियोजनाओं का भी समर्थन किया था।

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