नई दिल्ली,
भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में डेमचोक और देपसांग के टकराव वाले क्षेत्रों में डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया पूरी होने के बाद पेट्रोलिंग (गश्त) का एक दौर पूरा कर लिया है. दोनों देशों की सेनाएं उन क्षेत्रों में हर हफ्ते एक समन्वित गश्त करने पर भी सहमत हुई हैं, जहां 2020 में गलवान घाटी संघर्ष के बाद से तनाव बना हुआ है. पेट्रोलिंग का कोऑर्डिनेशन स्थानीय स्तर पर किया जाता है और ग्राउंड रूल स्थानीय कमांडरों द्वारा एक-दूसरे से बात करने के बाद तय किए जाते हैं.
समझौते का पालन कर रहे हैं दोनों देश
भारत और चीन डेमचोक और देपसांग में समझौतों का पालन कर रहे हैं. दोनों देशों की सेनाएं पेट्रोलिंग के जरिए यह सुनिश्चित कर चुकी हैं कि डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी हो चुकी है. दोनों पक्ष इन दोनों स्थानों पर सभी अस्थायी बुनियादी ढांचे को हटाने पर भी सहमत हुए हैं.
पड़ोसी देशों ने अक्टूबर में संघर्ष वाले इलाकों से सैनिकों की वापसी पर सहमति बनने के बाद नवंबर की शुरुआत में क्षेत्र में पहली कोऑर्डिनेशन पेट्रोलिंग की. रक्षा सूत्रों के मुताबिक प्रत्येक क्षेत्र (डेमचोक और देपसांग) में एक बार भारतीय सैनिकों द्वारा और एक बार चीनी सैनिकों द्वारा गश्त की जाएगी.
देपसांग और डेमचोक पर बनी थी सहमति
इससे पहले भारत और चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) पर अपने सैनिकों को पीछे हटाने और फिर से पेट्रोलिंग शुरू करने के लिए एक नए समझौते पर पहुंचे थे. कथित तौर पर यह समझौता देपसांग और डेमचोक इलाकों में पेट्रोलिंग से संबंधित है. यह महत्वपूर्ण घटनाक्रम 22-23 अक्टूबर को होने वाले 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा से ठीक पहले सामने आया था.
गलवान की झड़प के बाद से था तनाव
बता दें कि पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान घाटी में वर्ष 2020 में 15–16 जून को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी. इसमें 20 भारतीय सैनिकों की मौत हुई थी और करीब दोगुनी संख्या में चीनी सैनिक भी मारे गए थे. हालांकि, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने अपने सैनिकों के बारे में कभी आधिकारिक आंकड़े नहीं जारी किए. इस घटना के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं.