भोपाल
राजनीति में मन की बात खुलकर कर नहीं की जाती है। कुछ बातें इशारों में की जाती हैं तो कुछ किसी और के कंधे पर बंदूक रखकर गोली दाग दी जाती है। मध्य प्रदेश में बीजेपी के कद्दावर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय इन दिनों इसी वजह से चर्चा में हैं। उन्होंने अपनी तुलना शिवराज सिंह चौहान से की है। इस तुलना के दौरान कैलाश विजयवर्गीय ने अपनी स्ट्राइक रेट का जिक्र भी किया है। ऐसे में सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज हो गई है कि आखिर झारखंड और महाराष्ट्र चुनाव के बीच कैलाश विजयवर्गीय ने अपनी तुलना शिवराज सिंह चौहान से क्यों की है। शिवराज सिंह चौहान अभी झारखंड चुनाव के प्रभारी हैं। एमपी के सियासी जानकारों का कहना है कि कैलाश विजयवर्गीय ने शिवराज सिंह चौहान से अपनी तुलना नहीं की है। वह मैसेज कहीं और देना चाह रहे हैं।
कैलाश विजयवर्गीय ने कहा क्या
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बयान के मायने समझने से पहले यह जान लीजिए कि उन्होंने कहा क्या है। दरअसल, कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर में कहा कि शिवराज सिंह चौहान जब हरियाणा के प्रभारी थे तो वह चार सीटें ही दिला पाए थे। इसके बाद मुझे हरियाणा का प्रभारी बनाया गया है। इसके बाद कैलाश विजयवर्गीय 3 हजार कार्यकर्ताओं को इंदौर से लेकर गए। चुनाव नतीजे आए तो हरियाणा में बीजेपी जीत गई और सरकार बनी।
पश्चिम बंगाल में भी दिखा चुके हैं कमाल
बीते कुछ सालों से अपने बेटे को सियासी विरासत सौंपकर कैलाश विजयवर्गीय केंद्र की राजनीति में शिफ्ट हो गए थे। वह पार्टी के महासचिव थे। हरियाणा के बाद पश्चिम बंगाल के भी लंबे समय तक प्रभारी रहे हैं। इनके प्रभारी रहने के दौरान पश्चिम बंगाल में बीजेपी को विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जबरदस्त सफलता मिली। ऐसे में संगठन के लिए काम करने के दौरान कैलाश का स्ट्राइक रेट धमाकेदार रहा है।
2023 में आया परिवर्तन
कैलाश विजयवर्गीय दिल्ली की राजनीति में शिफ्ट हो गए थे। 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले एमपी की सियासत में बड़ा परिवर्तन हुआ। कैलाश विजयवर्गीय को पार्टी ने फिर से एमपी शिफ्ट कर दिया है। बेटे को टिकट नहीं मिला और कैलाश को इंदौर-1 से टिकट दिया गया। कद के हिसाब से मध्य प्रदेश में उन्हें वैसा कुछ खास नहीं मिला। मोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री बने हैं।
इंदौर में रहा है उनका दबदबा
वहीं, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का इंदौर में दबदबा रहा है। उन्होंने इस बार के चुनाव में इंदौर की सभी सीटों पर जीत दिलाई। यही नहीं लोकसभा चुनाव के दौरान तो कांग्रेस का प्रत्याशी ही भाग गया। इन सबके पीछे कथित तौर पर कैलाश विजयवर्गीय ही थे। इतना कुछ करने के बाद भी इंदौर की कमान उनके हाथ में नहीं रही है। सीएम मोहन यादव खुद ही इंदौर जिले के प्रभारी हैं।
शिवराज सिंह चौहान से तुलना क्यों
ऐसे में सवाल है कि कैलाश विजयवर्गीय अब शिवराज सिंह चौहान से अपनी तुलना क्यों कर रहे हैं। मध्य प्रदेश की राजनीति को करीब से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार अरुण दीक्षित ने नवभारत टाइम्स.कॉम से बात करते हुए कहा कि कैलाश विजयवर्गीय ने संगठन में काम करने दौरान खुद को साबित किया है। संगठन ने उन्हें हरियाणा और पश्चिम बंगाल की जिम्मेदारी दी थी। बाद में उन्हें इंदौर की जिम्मेदारी मिली तो कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया।
उन्होंने कहा कि कैलाश विजयवर्गीय इन दिनों हाशिए पर हैं। चुनाव जीतने के बाद यह माना जा रहा था कि उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी, जिस इंदौर के कैलाश विजयवर्गीय बेताज बादशाह माने जाते थे, वहां की कमान सीएम ने खुद के पास रख ली है। यही वजह है कि इंदौर के मुद्दों को वह उठा रहे हैं।
कैलाश दिल्ली को दे रहे हैं संदेश
वरिष्ठ पत्रकार अरुण दीक्षित ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान ओबीसी चेहरे की वजह से सीएम बने थे। मोहन यादव के साथ भी ऐसी ही स्थिति थी। बीजेपी एक समय में बनिए की पार्टी रही है। शायद यही पीड़ा कैलाश विजयवर्गीय की है। शिवराज सिंह चौहान के जरिए उन्होंने दिल्ली को संदेश देने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि कैलाश को आप भले ही हाशिए पर डा दें लेकिन वह कमजोर नहीं हैं। उनकी छवि देशव्यापी है। गौरतलब है कि अब सबकी निगाहें झारखंड चुनाव के परिणाम पर है। वहां के नतीजे आने के बाद शिवराज सिंह चौहान की छवि का आकलन होगा। लेकिन कैलाश विजयवर्गीय ने अपनी मन की बात कही है।