नीतीश कुमार को क्या कोई डर है, जो वे बार बार मोदी के पैर छू रहे हैं?

नई दिल्ली,

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात अलग है, अभी दस दिन पहले ही नीतीश कुमार ने पटना में बीजेपी नेता आरके सिन्हा के पैर छूकर सबको चौंका दिया था. चित्रगुप्त पूजा के दिन आरके सिन्हा ने चित्रगुप्त मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में बुलाया था. जब आरके सिन्हा मंदिर के जीर्णोद्धार के मामले में नीतीश कुमार के काम की तारीफ कर रहे थे, तभी नीतीश कुमार उनके पास पहुंचे और पैर छू लिये थे.

और जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दरभंगा में बिहार के दूसरे एम्स का उद्घाटन करने पहुंचे थे तब भी नीतीश कुमार पैर छूने के लिए झुके, लेकिन मोदी ने उनको रोक लिया. इस मौके पर मोदी और नीतीश के साथ ही बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय, चिराग पासवान के साथ-साथ बिहार के दोनो डिप्टी सीएम विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी सहित कई मंत्री, सांसद और विधायक मौजूद थे.

नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ में कसीदे तो पढ़े ही उनसे जुड़ी तमाम पुरानी बातों का भी खासतौर पर जिक्र किया, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये छोड़ दिया कि वो बार बार पैर छूने के लिए क्यों झुक जाते हैं?

बार बार मोदी के पैर छूने को कैसे समझें
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले महागठबंधन छोड़ कर एनडीए में लौटे नीतीश कुमार लगातार कई मौकों पर सफाई देते देखे जा रहे थे. गाहे-बगाहे तो बोलते ही, जब मंच पर प्रधानमंत्री मोदी होते तो नीतीश कुमार ये जरूर कहते कि अब वो कहीं नहीं जाने वाले हैं. और ये भी दोहराना नहीं भूलते कि गलती हो गई थी.

लोकसभा चुनाव नतीजे आने के बाद जब एनडीए के संसदीय दल की बैठक हुई तो नीतीश कुमार ने तीसरी बार प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी के पैर छूने की कोशिश की थी, लेकिन मोदी ने उनका हाथ पकड़ लिया था. उससे पहले लोकसभा चुनाव कैंपेन के दौरान भी नीतीश कुमार को मोदी के पैर छूने की कोशिश करते हुए देखा गया था.

सवाल है कि नीतीश कुमार ऐसा बार बार क्यों कर रहे हैं? सियासत में कोई निर्विकार भाव तो होता नहीं. तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा – ऐसा कोई भाव तो नीतीश कुमार में मन में आ भी नहीं सकता. अगर मन में ऐसे ख्याल आयें तो भी वो सार्वजनिक तौर पर ऐसा प्रदर्शन नहीं करने वाले.

पैर छूने को सम्मान के भाव से देखा जाता है. परंपरा से आगे बढ़ कर देखें तो पैर छूना समर्पण भाव का भी द्योतक है. लेकिन, ऐन उसी वक्त ये सवाल भी उठता है कि मोदी के प्रति नीतीश कुमार में ये समर्पण भाव क्यों आ रहा है? और अगर ये मान भी लें कि मोदी के प्रति नीतीश के मन में कोई समर्पण भाव आ गया है, तो आरके सिन्हा के प्रति किस भाव का इजहार है? वैसे किसी राजनेता के ऐसे समर्पण भाव का सरेआम प्रदर्शन हजम भी नहीं होता.

हो सकता है, उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच कर नीतीश को लगने लगा हो कि वो मोदी कृपा से ही मुख्यमंत्री बने हुए हैं – और ऐसी कृपा आगे भी बनी रहे, इसलिए बार बार पैर छूने की कोशिश कर रहे हों. पैर छूने के साथ ही नीतीश कुमार की तरफ से एक और खास बात हुई जिसने बहुतों का ध्यान खींचा होगा. नीतीश कुमार ने अपने 9 मिनट के भाषण में 8 बार मोदी नाम लिया, और 7 बार उनको धन्यवाद भी दिया – और नीतीश कुमार का ये अंदाज देखकर प्रधानमंत्री मोदी भी खूब मुस्कुरा रहे थे.

क्या नीतीश कुमार किसी बात को लेकर डरे हुए हैं?
जिसे प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाये जाने की घोषणा भर से जिस शख्स ने बीजेपी से 17 साल पुराना संबंध तोड़ लिया हो – वो नीतीश कुमार बार बार मोदी का पैर क्यों छू रहे हैं? और इस वक्त की सबसे बड़ी मिस्ट्री भी यही लगती है. ऐसी हरकत कोई तभी करता है, जब उसे किसी मामले में बुरी तरह फंस जाने का डर हो रहा हो, तो क्या नीतीश कुमार के साथ भी ऐसा ही हो रहा है?

या नीतीश कुमार को 2013 में एनडीए छोड़ने को लेकर गलती का एहसास हो रहा है, और वो उसी बात का प्रायश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं?या फिर, ऐसी हरकतें कोई तब करता है जब वो किसी वहम का शिकार हो चुका हो, ऐसा बढ़ती उम्र के कारण भी हो सकता है – लेकिन, उम्र का ही असर होता तो दोनो में छह महीने का ही तो अंतर है.

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