खुले हिंदुत्ववादी, कभी ट्रंप को दी थी टक्कर… आखिर कैसे विवेक रामास्वामी बन गए Trump की पसंद

नई दिल्ली,

डोनाल्ड ट्रंप इस समय जबरदस्त एक्शन मोड में हैं. राष्ट्रपति पद की शपथ से पहले ही उन्होंने कई अहम पदों पर नियुक्तियां भी कर दी हैं. उन्होंने अपनी कैबिनेट में भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी को भी जगह दी है. उन्हें टेस्ला सीईओ एलॉन मस्क के साथ DOGE विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं. चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की दावेदारी ठोक रहे रामास्वामी ने अचानक ही इस रेस से हटकर ट्रंप को समर्थन दे दिया था. उनकी गिनती तभी से ट्रंप के वफादारों में होने लगी थी.

लेकिन सवाल ये है कि एक समय में ट्रंप के खिलाफ चुनाव लड़ रहे विवेक रामास्वामी उनके इतने भरोसेमंद कैसे हो गए? हिंदुत्व के पैरोकार रामास्वामी को टीम में लेकर वह क्या संदेश देना चाहते हैं. इसका जवाब है कि विवेक रामास्वामी लगभग कई मामलों पर ट्रंप की तरह सोचते हैं. ट्रंप उन्हें अमेरिका का देशभक्त तक चुके हैं.

अवैध प्रवासियों पर ट्रंप की सोच से मेल खाती है रामास्वामी की सोच?
विवेक रामास्वामी कई मौकों पर कह चुके हैं कि अगर वे देश के राष्ट्रपति चुने जाते हैं तो वे अवैध प्रवासियों को उनके देश वापस भेज देंगे. उन्होंने दो टूक कहा था कि अमेरिका में जो भी गैरकानूनी रूप से रह रहा है, उन पर कोई नरमी नहीं बरती जाएगी. उन्हें उनके देश भेजा जाएगा. हम इन अवैध प्रवासियों को बर्दाश्त नहीं करेंगे. इन अवैध प्रवासियों के अमेरिका में जन्मे बच्चों की नागरिकता भी खत्म करेंगे.ऐसे में यह साफ है कि अवैध प्रवासियों को लेकर रामास्वामी की भी वही राय है जो ट्रंप की है. दोनों ही अमेरिका में अवैध तरीके से रह रहे प्रवासियों के डिपोर्टेशन के पक्षधर हैं.

फर्जी हिंदू नहीं हैं रामास्वामी!
लेबर डे वीकेंड पर न्यू हैम्पशायर में एक मतदाता ने रामास्वामी के धर्म के बारे में पूछा था तो इस पर उन्होंने कहा था कि मैं हिंदू हूं और मुझे इस पर गर्व है. मैं बिना किसी माफी के इसके लिए खड़ा हूं. मुझे लगता है कि मैं धार्मिक स्वतंत्रता के रक्षक के रूप में और भी ज्यादा उत्साही हो पाऊंगा.उन्होंने कहा था कि मैं एक हिंदू हूं. मुझे सिखाया गया है कि भगवान ने हम सबको यहां किसी मकसद से भेजा है. मैं कोई फर्जी हिंदू नहीं हूं, जिसने अपना धर्म बदला हो. मैं अपने करिअर के लिए झूठ नहीं बोल सकता.

चीन के कट्टर आलोचक और अमेरिका फर्स्ट के पक्षधर हैं विवेक
विवेक रामास्वामी को चीन का कट्टर आलोचक माना जाता है. उनका मानना है कि चीन की नीतियां अमेरिका के कारोबार को लेकर सही नहीं है और हमें चीन पर हमारी निर्भरता को पूरी तरह से खत्म करना होगा.

रामास्वामी अमेरिका फर्स्ट के समर्थक हैं. वह समय-समय पर इसका प्रचार करते रहे हैं. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि कैंसरग्रस्त संघीय नौकरशाही में फंसने के बजाए सरकार को इससे बाहर रहना चाहिए. अमेरिका को चीन के बढ़ते प्रभुत्व से भी खतरा हैं. यह हमारी शीर्ष विदेश नीति के लिए खतरा होगा इसलिए हमें इसका हल ढूंढने की जरूरत है. हमें चीन से पूरी तरह से छुटकारे की जरूरत है. हमें इस तथ्य पर गौर करना होगा कि चीन हमारे संप्रभुता का उल्लंघन कर रहा है.

विवेक रामास्वामी का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ है. वह हिंदू हैं और उन्हें इस पर गर्व है. वह कई मौकों पर अमेरिका में हिंदू धर्म का प्रचार कर चुके हैं. खुले हिंदुत्ववादी रामास्वामी कई सार्वजनिक मंचों पर हिंदू धर्म को लेकर बात कर चुके हैं.

कौन हैं विवेक रामास्वामी?
39 साल के विवेक रामास्वामी टेक सेक्टर के बड़े बिजनेसमैन हैं. उनका जन्म तमिल भाषी ब्राह्मण परिवार में हुआ था. विवेक रामास्वामी के बचपन में ही उनके माता-पिता केरल से अमेरिका जाकर बस गए थे. उनका लालन-पालन ओहायो में हुआ. वह रोमन कैथोलिक स्कूल गए थे लेकिन वह अपने परिवार के साथ अक्सर मंदिर जाते थे.उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से बायोलॉजी की डिग्री हासिल की थी. इसके बाद वह येल लॉ स्कूल गए.

उन्होंने हेज फंड इन्वेस्टर के तौर पर काम किया है. येल यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएट होने से पहले ही वह लाखों डॉलर कमा चुके थे. 2014 में उन्होंने बायोटेक कंपनी Roivant Sciences की स्थापना की थी, जो दवाइयों के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियों से पेटेंट खरीदती हैं. उन्होंने 2021 में इस कंपनी के सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया था. फोर्ब्स मैगजीन के मुताबिक, 2023 में उनकी कुल संपत्ति 63 करोड़ डॉलर के आसपास थी.

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